रामनगर: प्रदेश में औषधीय पादपों की विशेषताओं और डिमांड को पूरा करने को लेकर जड़ी बूटी शोध संस्थान द्वारा आयोजित दो दिवसीय गोष्ठी में प्रदेश के विभिन्न हिस्सों से आए क्रेता एवं विक्रेताओं की मौजूदगी में सभी ने एक स्वर में मांग रखी कि उत्तराखंड में होने वाले औषधि पादपों की एमएसपी को केंद्र और राज्य सरकार घोषित करे। मूल्य निर्धारण न होने की वजह से इनके किसानों को न तो उनकी फसल का उचित मूल्य ही मिलता है और न ही बाजार।
शुक्रवार को रामनगर के एक रेस्टोरेंट में आयोजित गोष्ठी में चमोली, रुद्रप्रयाग, पिथौरागढ़ समेत प्रदेश के ठंडे क्षेत्रों के क्रेता और विक्रेताओं ने भाग लिया। इसमें औषधि पादपों के किसानों ने स्थानीय लोगों को जड़ी बूटी के क्रय विक्रय की जानकारी दी। आम राय बनी कि गोष्ठी के माध्यम से महत्वपूर्ण जड़ी बूटी का दाम सरकार को भेजेंगे जिससे जड़ी बूटियों को पैदावार करने वाले काश्तकारों को उचित मूल्य मिल सके। गोष्ठी में जिला विकास अधिकारी गोपाल गिरी, वरिष्ठ वैज्ञानिक विजय पांडे, वन विकास निगम के डिपो अधिकारी जमन राम, आईएमपीसीएल के डिप्टी मैनेजर श्रीनिवास चौधरी व उत्तराखंड तेजपाल समिति के अध्यक्ष नाथ सिंह, पिथौरागढ़ से डॉ विजय प्रसाद भट्ट, शंकर रावत मौजूद रहे। डॉ. विजय प्रसाद भट्ट ने बताया कि गोष्ठी में तेजपात, रीठा, कुटकी, सतावर, सर्पगंधा और कूठ की एमएसपी निर्धारित की गई है जिसे सरकार के पास स्वीकृति के लिए भेजा जाएगा।
इन पादपों का मूल्य निर्धारण की उठी मांग: बैठक में अतीस कुटकी, कूठ, जटामासी, चिरायता, वन ककड़ी,काला जीरा, पाईरेथ्रम,तगर, मंजित, बड़ी इलायची, पथरचुर, रोजमेरी, जिरेनियम, सर्पगंधा,कलिहारी, शतावर,लेमनग्रास,कैमोमाइल, सिलिवम,स्टीविया, पीपली, ब्राह्मी,अमिमेजस, तिलपुष्पी, रीठा, हरड़,आंवला, बहेड़ा, तेजपात,छीपी/ गन्दरायण, पुष्कर मूल, चन्दन,लेवेंडर, अमेश,तुलसी और कपूर कचरी जैसी ओषधि पादपों के लिए एमएसपी सरकार को तय करनी चाहिए।