उत्तराखंड

पूर्णिमा व्रत कल रखा जाएगा

Sonam
1 July 2023 9:24 AM GMT
पूर्णिमा व्रत कल रखा जाएगा
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दिल्ली : 2 जुलाई 2023 दिन रविवार को पूर्णिमा उपवास रखा जाएगा एवं 3 जुलाई 2023 दिन सोमवार को स्नानदानार्थ पूर्णिमा व्यास (गुरु) पूर्णिमा पर्व मनाया जाएगा। इस पर्व और व्रत की पूरी जानकारी दे रही हैं ज्योतिषाचार्य डा.मंजू जोशी।

गुरु पूर्णिमा को आषाढ पूर्णिमा भी कहा जाता है। पूर्णिमा का पर्व महर्षि वेद व्यास के अवतरण दिवस के रूप में मनाया जाता है। वेदव्यास जो ऋषि पराशर के पुत्र थे। शास्त्रों के अनुसार महर्षि व्यास को तीनों कालों का ज्ञाता माना जाता है। महर्षि वेद व्यास का नाम वेद व्यास क्यों पड़ा इसके पीछे धार्मिक ग्रंथों में उल्लेख है, माना जाता है कि महर्षि व्यास ने ही वेदों को अलग-अलग खण्डों में विभाजित कर उनका नाम ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद रखा। जिसके कारण उन्हें वेद व्यास कहा जाने लगा।

भारत भूमि देवताओं की भूमि है हिंदू धर्म में गुरु को ईश्वर से भी बढ़कर माना गया है। गुरु द्वारा हमें ज्ञान रूपी प्रकाश से आलोकित किया जाता है। गुरू द्वारा हमें जीवन के मूलभूत सिद्धातों से परिचित कराया जाता है। गुरु की महत्ता को समझते हुए गुरु के सम्मान में प्रति वर्ष गुरु पूर्णिमा पर्व मनाया जाता है।

गुरु पूर्णिमा पर शुभ योग

इस वर्ष गुरु पूर्णिमा पर ब्रह्म योग एवं इंद्र योग बुधादित्य योग बन रहे हैं जो गुरु पूर्णिमा पर्व को और भी विशेष बनाते हैं।

मुहूर्त

गुरू पूर्णिमा 2 जुलाई 2023 रात्रि 8:22 से 03 जुलाई 2023 सांयकाल 05:09 मिनट तक।

पूजा विधि

गुरु पूर्णिमा पर सर्वप्रथम ब्रह्म मुहूर्त में जागकर नित्य कर्म से निवृत्त होकर घर में मंदिर को गंगाजल से पवित्र करें। व्रत का संकल्प लें, मंदिर में दीपक प्रज्वलित करें। भगवान विष्णु और भोलेनाथ को स्नानादि कराकर आसन प्रदान करें। रोली, कुमकुम, अक्षत, पुष्प, धूप, दीप नैवेद्य अर्पित करें। अपने गुरु का ध्यान करें। अगर संभव हो तो गुरु के चरण स्पर्श कर आशीर्वाद प्राप्त करें। और गुरु जी को श्रद्धा पूर्वक अन्न, वस्त्र, मिष्ठान, फूल माला, दक्षिणा सामर्थ्य के अनुसार भेंट करे।

विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करने से गुरु की विशेष कृपा प्राप्त होती है। सर्वप्रथम गुरु हमारी मां होती है मां का सम्मान करें मां को भी भेंट इत्यादि देकर मां का आशीर्वाद प्राप्त करें। गुरु पूर्णिमा के पर्व पर सफेद,पीली वस्तुओं का दान अवश्य करें। खीर को प्रसाद रूप में वितरित करने से विशेष लाभ प्राप्त होंगे।

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