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हल्द्वानी। ठगी का ऐसा मामला उत्तराखंड में संभवत: पहली बार देखने में आया है कि जालसाज ने ठगी की घटना को अंजाम देने से पहले पीड़ित का बैंक खाता किसी और राज्य में ट्रांसफर करा लिया। ये घटना पूर्व डीजी फॉरेस्ट एनके जोशी की पत्नी आशा जोशी के साथ हुई। मामले में पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
लोहरियासाल मल्ला ब्लाक ऑफिस निवासी स्व.एनके जोशी उत्तराखंड में वन विभाग में प्रिंसिपल चीफ रहे है और डीजी फॉरेस्ट के पद से सेवानिवृत्त हुए। यहां अब उनकी पत्नी आशा जोशी रहती हैं। आशा के दो बैंक खाते हैं। एक खाते में उनकी पेंशन आती है, जबकि उनका दूसरा खाता तिलोनिया स्थित बैंक ऑफ बड़ौदा में है। इस खाते वह ज्यादा इस्तेमाल नहीं करती हैं और इसमें 40 लाख रुपए थे। बीती 19 अप्रैल को किसी ने तिकोनिया स्थित ब्रांच में आशा के खाते को बैंक ऑफ बड़ौदा नागपुर ट्रांसफर करने का आवेदन किया और बैंक ने कर भी दिया। इसके बाद जालसाज ने आशा के खाते में अपना मोबाइल नंबर भी दर्ज करा दिया।
फिर जालसाज ने नागपुर के केनरा बैंक में आरटीजीएस के जरिये 20 लाख रुपए ट्रांसफर कर दिए। इसके बाद बैंक के टोल फ्री नंबर से आशा को फोन किया गया कि उनकी रकम ट्रांसफर कर दी गई है। ये ट्रांजेक्शन 2 मई को की गई। यह जानकर आशा के पैरों तले जमीन खिसक गई। जबकि उनका, उनके पति और उनके परिवार का कभी नागपुर से कोई वास्ता नहीं था। हल्द्वानी : आशा के भाई ने शक जाहिर किया है कि इतनी बड़ी घटना बैंक की मिलीभगत के बगैर नहीं हो सकती। उन्होंने बताया कि आशा की-पैड वाला फोन इस्तेमाल करती हैं। यही वजह थी कि 21 अप्रैल को बैंक खाते में नंबर बदले जाने के मैसेज पर उन्होंने ध्यान नहीं दिया। उन्हें ताज्जुब इस बात का हुआ कि बगैर उनकी सहमति के पूरा का पूरा खाता कैसे ट्रांसफर हो सकता है, लेकिन गनीमत की बात यह है कि खाते से पूरा पैसा साफ नहीं हो सका।
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