उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग में फर्जीवाड़ा, जानिए पूरा मामला
देहरादून क्राइम न्यूज़: उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग में फर्जीवाड़े को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है। इस मामले में उत्तराखंड एसटीएफ ने छह आरोपियों को गिरफ्तार किया है। परीक्षा करवाने वाली कंपनी के टेक्निकल स्टाफ, आयोग के होमगार्ड, कोचिंग संचालक और कुछ अभ्यर्थियों ने मिलकर इस फर्जीवाड़े को अंजाम दिया था। बताते चलें कि बीते साल 2021 में आयोग की ओर से स्नातक स्तरीय परीक्षाएं आयोजित कराई गई थीं। परीक्षा में राज्य के करीब 1.60 लाख युवाओं ने आवेदन किया था। लेकिन परीक्षा के बाद पेपर लीक होने की बात सामने आई। परीक्षा परिणाम के बाद कई छात्र संगठनों ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से परीक्षा में गड़बड़ी की शिकायत की थी। जिसके बाद मुख्यमंत्री ने परीक्षा की अनियमितताओं के संबंध में मुकदमा दर्ज करने के आदेश दिए थे। थाना रायपुर में मुकदमा दर्ज कराया गया था। पुलिस महानिदेशक उत्तराखंड के आदेश पर मामले में थाना रायपुर से उक्त विवेचना स्पेशल टास्क फोर्स उत्तराखंड पुलिस को स्थानान्तरित हुई। एसटीएफ ने अलग-अलग टीमें बनाकर परीक्षा अनियमित्ताओं के सम्बन्ध में गोपनीय जानकारी जुटाई। जिसके बाद छह आरोपियों को गिरफ्तार किया गया।
ये हैं पेपर लीक करने वाले छह आरोपी: मनोज जोशी पुत्र बालकिशन जोशी निवासी ग्राम मयोली, थाना दनिया, जिला अल्मोड़ा साल 2014-2015 से 2018 तक रायपुर स्थित अधीनस्थ चयन सेवा आयोग में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी (पीआरडी) के रूप में तैनात था। 2018 में विभागीय शिकायत पर उसे आयोग से हटा दिया गया था। इससे पूर्व यह कर्मचारी 12 साल तक लखनऊ सूर्या प्रिंटिंग प्रेस में काम कर चुका था। जबकि जयजीत दास पुत्र विमल दास निवासी पण्डितवाडी, थाना कैंट, देहरादून आउटसोर्स कम्पनी आरएमएस टेक्नोसोल्यूसन इण्डिया प्रा.लि. के माध्यम से कम्पयूटर प्रोग्रामर के रूप में साल 2015 से कार्यरत था। उक्त कम्पनी द्वारा अधीनस्थ चयन सेवा आयोग के गोपनीय कार्य किये जाते थे जिस कारण जयजीत दास की जान पहचान मनोज जोशी से हुई थी।
वहीं, एसएससी आयोग कार्यालय में मनोज जोशी पुत्र रमेश जोशी निवासी ग्राम पाटी, जिला चम्पावत का भी परीक्षाओं के कार्यक्रम के सम्बन्ध में जानकारी के लिए आना जाना लगा रहता था। जिस कारण उसकी पहचान मनोज जोशी पुत्र बालकृष्ण जोशी उपरोक्त से हो गई थी। मनोज जोशी परीक्षाओं की तैयारी करता था। वह अभियुक्त कुलवीर सिंह चौहान पुत्र सुखवीर सिंह निवासी करनपुर डालनवाला चांदपुर, बिजनौर उत्तर प्रदेश में संचालित डेल्टा डिफेन्स सेन्टर में कोंचिग लेता था। बाद में वहां पढ़ाने लगा था। डेल्टा डिफेन्स कोचिंग का कुलवीर डायरेक्टर था। डायरेक्टर कुलवीर के माध्यम से शूरवीर सिंह चौहान पुत्र अतर सिंह चौहान निवासी कालसी, देहरादून की पहचान मनोज जोशी पुत्र रमेश जोशी से हुई। सितारगंज में गौरव नेगी पुत्र गोपाल सिंह निवासी नजीमाबाद किच्छा, ऊधमसिंह नगर की मुलाकात मनोज जोशी पुत्र रमेश जोशी से हुई थी जो कि किच्छा में ही प्राईवेट स्कूल में शिक्षक था। वह ग्रुप सी में स्नातक स्तर की परीक्षाओं की तैयारी कर रहा था।
रामनगर के रिसार्ट से चलता था खेल: परीक्षार्थियों को परीक्षा तिथि से एक दिन पहले रामनगर के एक रिसोर्ट में मनोज के नाम से तीन कमरे बुक थे। जिसमें परीक्षा में आने वाले प्रश्नों को याद कराकर छात्रों को अगली सुबह एग्जाम सेंटर तक छोड़ दिया जाता था। अभियुक्त जयदीप की निशानदेही पर उसके कब्जे से लगभग 37.10 लाख रुपए कैश बरामद हुए हैं। यह वो रकम है जो जयदीप ने परीक्षार्थियों को पेपर लीक कराने के लिए उनसे लिए थे। शूरवीर, कुलवीर और दोनों मनोज ने कम्प्यूटर प्रोग्रामर जयजीत दास को पेपर लीक कराने के सम्बन्ध में 60 लाख दिये थे। जयजीत दास द्वारा यूकेएसएससी में जाकर पेपरों के प्रश्न एक्सट्रैक्ट कर लेता था। इसके बाद शूरवीर, कुलवीर और दोनों मनोज को उपलब्ध करा दिया था।