राज्य गठन के बाद से ही सरकारी तंत्र को लेकर तीन प्रमुख शिकायतें रही हैं। जिसे लेकर सीएम पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि हम कार्यसंस्कृति बदलना चाहते हैं। हमने सरलीकरण, समाधान, निस्तारण और संतुष्टिकरण के मंत्र के साथ काम करना शुरू किया है। इसका सकारात्मक असर जल्द दिखना शुरू हो जाएगा।
धामी सरकार के सामने यूपी से विरासत में मिले सरकारी सिस्टम की पेचीदगियों को दूर करने की सबसे बड़ी चुनौती है। सत्ता की कमान हाथों में आने के बाद से धामी सरलीकरण, समाधान और निस्तारण के मंत्र पर जोर दे रहे हैं। सरकारी तंत्र पर इस मंत्र को फूंकने की जिम्मेदारी उन्होंने मुख्य सचिव डॉ. एसएस संधु को सौंपी है।
पिछले एक हफ्ते में मुख्य सचिव ने शासन में बैठे उच्चाधिकारियों के लिए जो दो अहम आदेश जारी किए, उनका संबंध मुख्यमंत्री के मंत्र से ही है। राज्य गठन के बाद से ही सरकारी तंत्र को लेकर तीन प्रमुख शिकायतें रही हैं। पहली शिकायत यह है कि सचिवालय में आकर फाइलें कहीं गुम या ताले में बंद हो जाती हैं और राजनेताओं या करीबियों की सिफारिश की चाभी से कुछेक फाइलों का ताला खुलता है।
दूसरी शिकायत, खुद फील्ड में तैनात सरकारी कारिंदों की ओर से है कि वे शासन को जो काम की फाइलें भेजते हैं, उनमें इतनी आपत्तियां लगा दी जाती हैं कि योजना या प्रस्ताव पर समय पर काम शुरू करना मुश्किल हो जाता है। जिसका नतीजा यह होता है कि उसकी लागत बढ़ जाती है। एक बार में आपत्तियां दूर नहीं हो पाती।
तीसरी बड़ी शिकायत यह है कि तहसील हो या कलक्टर का दफ्तर या सचिवालय हर जगह हर समय अफसर बैठकों में मशगूल रहते हैं। फरियाद लेकर अफसरों के पास आने वाली जनता को बैरंग लौटना पड़ता है। साथ ही यह शिकायत भी आम रही है कि कतिपय सरकारी कर्मचारी समय पर दफ्तर नहीं आते या शाम को जल्दी चले जाते हैं। इन सभी शिकायतों का एक-एक कर समाधान तलाशने की कोशिश हो रही है।
इसी कड़ी में हाल ही शासन स्तर से तीन अहम फैसले हुए। पहला, सचिवालय में सोमवार के दिन कोई बैठक नहीं होंगी और अधिकारी जन शिकायतों को सुनने के लिए उपलब्ध रहेंगे। दूसरी, जिलों व तहसीलों में होने वाली बैठकों मे चाय-पानी या गुलदस्ता देने या परिचय कराने में समय की बर्बादी नहीं होगी और सिर्फ एजेंडे पर काम होगा।
तीसरा, फील्ड से आने वाले विकास योजनाओं से जुड़े प्रस्तावों को समय पर स्वीकृति या एनओसी दिलाने के लिए एक बार में ही परीक्षण कर आपत्तियां दूर की जाएंगी। यानी आपत्तियों के नाम फाइलों को इधर उधर नहीं घुमाया जाएगा। प्रशासनिक सुधार की दिशा में उठाए गए ये कदम आने वाले दिनों में कितने कारगर होंगे, यह तो समय बताएगा, लेकिन जानकारों की निगाह में यह अच्छी पहल है।
हम कार्यसंस्कृति बदलना चाहते हैं। हमने सरलीकरण, समाधान, निस्तारण और संतुष्टिकरण के मंत्र के साथ काम करना शुरू किया है। इसका सकारात्मक असर जल्द दिखना शुरू हो जाएगा।
जन समस्याओं के समयबद्ध समाधान और विकास की गति को बनाए रखने के लिए समय-समय पर प्रशासनिक सुधारों की आवश्यकता है। सरकार के हाल ही में सुधार की दिशा में लिए गए फैसले स्वागतयोग्य है लेकिन हमें उन व्यावहारिक दिक्कतों पर नजर रखनी होगी ताकि कोई बीमार अस्पताल के दरवाजे पर बगैर इलाज के दम न तोड़े।
- अनूप नौटियाल, संस्थापक, एसडीसी फाउंडेशन
प्रशासनिक सुधार की दिशा में लिए गए कुछ प्रमुख निर्णय
- फाइलों के शीघ्र निपटारे के लिए हर दफ्तर में ई ऑफिस
- हर कर्मचारी दफ्तर समय से पहुंचे, इसके लिए बायोमीट्रिक हाजिरी
- जिस स्तर की समस्या, उसी स्तर पर हो निपटारा
- शासन में सोमवार को सिर्फ जन सुनवाई, कोई बैठक नहीं
- जिलास्तरीय बैठकों में एजेंडे पर फोकस, चाय-पानी में समय की बर्बादी न हो
- एनओसी और मंजूरी के नाम पर बार-बार आपत्तियां नहीं लगाई
सरकार के सामने ये भी चुनौतियां
- अफसर-कर्मचारी पहाड़ नहीं चढ़ते हैं
- सीमांत और दुर्गम क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाएं लचर हैं
- पहाड़ में मोबाइल कनेक्टिविटी की सबसे बड़ी समस्या है
- सरकारी योजनाओं का लाभ ऑनलाइन लेने के लिए कनेक्टिविटी में सुधार सबसे बड़ी चुनौती है