उत्तराखंड

पूर्व राज्यपाल कोश्यारी ने प्रदेशवासियों से मोटा अनाज अपनाने का आह्वान करते हुए दिया नारा

Admin Delhi 1
18 May 2023 12:15 PM GMT
पूर्व राज्यपाल  कोश्यारी ने प्रदेशवासियों से मोटा अनाज अपनाने का आह्वान करते हुए दिया नारा
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देहरादून न्यूज़: श्रीअन्न महोत्सव में राज्य में मोटे अनाज को बढ़ावा देने के लिए नए नारे ने जन्म लिया. पूर्व सीएम व महाराष्ट्र के पूर्व राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने कहा कि कोदा-झंगोरा खाएंगे, उत्तराखंड बनाएंगे नारे पर अमल करते हुए उत्तराखंडियों ने अलग राज्य बनाया. अब नया नारा लगाना होगा कि कोदा-झंगोरा खाएंगे-आत्मनिर्भर उत्तराखंड बनाएंगे.

हाथीबड़कला स्थिति सर्वे स्टेडियम में तीन दिन से चल रहा श्रीअन्न महोत्सव पूरी तरह उत्तराखंड पर केंद्रित रहा. महोत्सव को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि कोश्यारी और विशिष्ट अतिथि पद्मभूषण डॉ.अनिल जोशी ने मिलेट के फायदे गिनाते हुए सरकार को कई अहम सुझाव भी दिए.

कोश्यारी ने कहा कि मिलेट्स के उत्पादन के लिए उत्तराखंड सबसे आदर्श स्थान है. यह अनाज सबसे पौष्टिक है. इसमें रोजगार की अपार संभावनाएं भी हैं. मिलेट के जरिए उत्तराखंड को आत्मनिर्भर बनाया जा सकता है. उन्होंने अधिकारियों से कहा कि अब तक वर्तमान उत्पादन की बात हो रही है, लेकिन अब हमें भविष्य में उत्पादन का लक्ष्य भी तय करना होगा. इसके बाद उन्होंने कृषि मंत्री से कहा कि वो सरकार से बात करके सरकारी कार्यक्रमों और दफ्तरों में मिलेट्स से बने खाद्य उत्पादों के उपयोग को अनिवार्य करने का प्रयास करें. जोशी ने कहा कि मिलेट्स के उत्पादन को बढ़ाने के लिए सरकार लगातार प्रयासरत है. वर्तमान में राज्य में 34 प्रतिशत क्षेत्र में जैविक खेती हो रही है. इसे 60 प्रतिशत तक ले जाने का लक्ष्य है. महोत्सव का समापन होगा. इसमें केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर शामिल रहेंगे. इस मौके पर भाजपा के प्रदेश महामंत्री आदित्य चौहान, भाजपा के किसान मोर्चा अध्यक्ष जोगेंद्र पुंडीर, अपर सचिव-आयुक्त ग्राम्य विकास आनंद स्वरूप, कृषि निदेशक गौरीशंकर, अपर निदेशक केसी पाठक आदि मौजूद रहे.

गेहूं की रोटी खाकर हो गया था बीमार कोश्यारी ने अपने बचपन का अनुभव साझा करते हुए कहा कि कोदा, झंगोरा आदि को मोटा अनाज कहा जाता था. उसे गरीबों का खाना कहा जाता था. परिवार में मेरी मां-बहनों को मंडुवे की रोटी आदि दी जाती थी. लेकिन लाड़ला होने की वजह से मुझे हमेशा गेहूं की रोटी ही मिली. इसके बावजूद मेरी बहनें हमेशा ही स्वस्थ रहीं लेकिन गेहूं की रोटी खा-खाकर मेरा पेट शुरू से ही खराब रहा. पुरुषवादी सोच थी कि महिलाओं को कोदा-झंगोरा दो और खुद दाल-भात-गेहूं रोटी खाओ.

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