उत्तराखंड

पूर्व मुख्यमंत्री रावत ने कहा - बेटा रोता नहीं तो मां भी दूध नहीं देती

Gulabi Jagat
16 Sep 2022 11:27 AM GMT
पूर्व मुख्यमंत्री रावत ने कहा - बेटा रोता नहीं तो मां भी दूध नहीं देती
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Source: amritvichar.com

22 साल बाद भी उत्तराखंड को स्थायी राजधानी न मिल पाना यहां के राजनेताओं और नौकरशाहों की मंशा पर सवाल खड़े करता है। देहरादून अब भी अस्थायी राजधानी तो गैरसैंण अब भी स्थायी राजधानी के ख्वाब को पा नहीं सका है। ऐसे में राज्य गठन के बाद जो विकास की जो किरण पहाड़ के दूरदराज के गांवों तक पहुंचनी चाहिए थी वह आज तक नहीं पहुंच सकी है।
इस बीच एक बार फिर पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के ताजा बयान सामने आया है जिसमें उन्होंने गैरसैंण को लेकर धामी सरकार को सुझाव दिया है कि ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण में विधानसभा सत्र आयोजित करने के लिए कैलेंडर जारी किया जाना चाहिए। जब गैरसैंण के नाम पर इतनी भर्तियां की गई हैं तो यहां नियमित सत्र कराया जाना चाहिए। यदि शुरुआत में ही इसका कैलेंडर बनाया जाए तो यहां सत्र के आयोजन में आसानी होगी। उन्होंने कहा कि गैरसैंणवासियों की सरकार से काफी अपेक्षाएं हैं।
डिफेंस कालोनी स्थित आवास पर पत्रकारों से मुखातिब में पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि अपने सीमांत दर्शन कार्यक्रम के तहत वह गैरसैंण भी गए। गैरसैंण पहाड़ की पीड़ा का प्रतीक है। जिन कारणों से राज्य बना, उसका प्रतीक भी गैरसैंण है। यहां के लोग सरकार से काफी अपेक्षा करते हैं। उन्होंने कहा कि एक कहावत है कि बेटा रोता नहीं तो मां भी दूध नहीं देती। इसका मतलब यह नहीं है कि मां दुश्मन है। यह एक स्वभाव है। ऐसे ही गैरसैंण की जनता है जो उसके लिए आवाज उठा सकती है।
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