उत्तराखंड

लोक भाषाएं और बोलियां हमारी पहचान और हमारा गौरव: मुख्यमंत्री धामी

Admin Delhi 1
8 April 2023 2:05 PM GMT
लोक भाषाएं और बोलियां हमारी पहचान और हमारा गौरव: मुख्यमंत्री धामी
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देहरादून न्यूज़: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने गढ़वाली, कुमाउनी और जौनसारी बोलियों के उदीयमान लेखकों को प्रतिवर्ष उत्तराखंड साहित्य गौरव सम्मान देने का ऐलान किया. यह समारोह मई में होगा. सीएम ने यह घोषणा उत्तराखंड भाषा संस्थान की साधारण सभा के दौरान की.

गढ़वाली, कुमाउनी और जौनसारी बोलियों के लेखकों के लिए पहली बार यह सम्मान शुरू किया जा रहा है. साथ ही हिंदी, पंजाबी व उर्दू में दीर्घकालीन उत्कृष्ट साहित्य सृजन के क्षेत्र में भी यह सम्मान दिया जाएगा. सभा में मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के ऐसे रचनाकार, जो आर्थिक तंगी के चलते अपनी पुस्तकें प्रकाशित नहीं करा पाते हैं, उन्हें भाषा संस्थान आर्थिक मदद मुहैया कराएगा. उन्होंने अफसरों को हर जिले में राष्ट्रीय, अंतर्राष्ट्रीय भाषा सम्मेलन व हर जनपद के एक-एक प्राथमिक विद्यालय में डिजिटल/ई पुस्तकालय भी स्थापित करने के निर्देश दिए. मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी लोक भाषाएं और बोलियां हमारी पहचान और गौरव हैं. सरकार स्थानीय भाषाओं, बोलियों तथा संस्कृति के संरक्षण और संवर्धन के लिए निरंतर प्रयासरत है. बैठक में साहित्यिक एवं शोध पत्रिकाओं के प्रकाशन, लोक भाषाओं को बढ़ावा देने को कार्यशालाएं व प्रशिक्षण कार्यक्रमों के साथ नेशनल बुक ट्रस्ट के साथ मिलकर पुस्तक मेले और साहित्यिक संगोष्ठियों के आयोजन पर भी सहमति बनी. बैठक में भाषा मंत्री सुबोध उनियाल भी मौजूद रहे., सचिव विनोद प्रसाद रतूड़ी, अपर सचिव स्वाति भदौरिया, भाषा संस्थान की सदस्य प्रो सुलेखा डंगवाल, प्रो.दिनेश चंद्र शास्त्रत्त्ी, डॉ.सुधा पाण्डेय, डॉ.हरिसुमन बिष्ट, प्रो. देव पोखरिया आदि मौजूद रहे.

नौ साल बाद हुई उत्तराखंड भाषा संस्थान की बैठक

उत्तराखंड भाषा संस्थान की बैठक मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में वर्ष 2014 के बाद अब हुई. इससे स्थानीय बोलियों को बढ़ावा देने को लेकर सरकारों को संवेदनशीलता जाहिर होती है. धामी ने कहा कि विभिन्न क्षेत्रों में गढ़वाली, कुमाउंनी व जौनसारी बोलियों को बोलने वाले व लिखने वाले अलग-अलग हैं, जिनके लेखन में शब्दों का औच्चारणिक विभेद है. उन्होंने कहा कि इनके उच्चारण एवं वर्तनी के मानकीकरण की अत्यंत आवश्यकता है. इसके लिए दोनों मंडलों में शिविर लगाए जाएं.

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