उत्तराखंड
उत्तराखंड के चमोली में काकभुशुंडी पर्वत लेक में फंसे पांच ट्रैकर, किया गया रेस्क्यू
Gulabi Jagat
31 May 2022 12:26 PM GMT
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उत्तराखंड न्यूज
चमोली। उत्तराखंड के चमोली जनपद में काकभुशुंडी पर्वत लेक में पांच ट्रैकर फंस गए थे। उन्हें सकुशल रेस्क्यू किया गया। श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के उपाध्यक्ष किशोर पंवार की सक्रियता से डैक्कन कंपनी के हेलीकाप्टर ने ट्रैकरों की जान बचाई।
प्राप्त जानकारी के मुताबिक, हेली कोआर्डिनेटर विनीत सनवाल को संदेश मिला कि काकभुशुंडी पर्वत लेक में पांच ट्रैकर फंसे हुए हैं। उन्हे रेस्क्यू की जरूरत है। यह सूचना उन्होंने मंदिर समिति उपाध्यक्ष किशोर पंवार को दी।
मंदिर समिति मीडिया प्रभारी डा. हरीश गौड़ ने बताया कि मंदिर समिति उपाध्यक्ष ने डैक्कन चार्टर हेली सेवा कंपनी के मैनैजर दीपक शर्मा से बहुत कम दर पर शाटिंग के अनुसार रेस्क्यू कार्य शुरू करवाकर ट्रैकरों की जान बचाई।
इस अभियान को पायलट एनए विनोद ने संचालित किया। गुड़गांव हरियाणा निवासी ट्रेकर गौरव शर्मा, रितुराज, धीरेंद्र सिंह, डा. अंजू और चेतना नेगी को रेस्क्यू कर गोविंदघाट हेलीपैड लाकर गंतव्य को भेजा गया।
चमोली। उत्तराखंड के चमोली जनपद में आज मंगलवार को काकभुशुंडी पर्वत लेक में पांच ट्रेकर फंस गए थे। उन्हें सकुशल रेस्क्यू किया गया। रेस्क्यू के लिए जाता हेलीकाप्टर।#UttarakhanNews, #Trackers pic.twitter.com/QtZLXq28Mn
— Sunil Negi (@negi0010) May 31, 2022
मंदिर समिति उपाध्यक्ष किशोर पंवार ने बताया कि स्थानीय स्तर पर डैक्कन चार्टर कंपनी द्वारा रेस्क्यू कार्य किये जाते रहे है, जिसकी लोगों ने प्रशंसा की है।
रुद्रप्रयाग के मध्यमेश्वर-पांडवसेरा ट्रैक पर फंसे ट्रैकर्स सकुशल निकाले
मध्यमेश्वर-पांडवसेरा ट्रैक पर फंसे ट्रैकर्स दल के छह सदस्यों को तीसरे दिन वायु सेना की टीम ने रेस्क्यू कर लिया। इनमें तीन पोर्टर हैं। ट्रैकर्स उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में एक न्यूज चैनल से जुड़े बताए गए। प्राथमिक उपचार के बाद सभी अपने घर के लिए रवाना हो गए। इस बीच, केदारनाथ वन प्रभाग के डीएफओ ने बिना अनुमति के प्रतिबंधित वन क्षेत्र में जाने का संज्ञान लेते हुए रेंज अधिकारी को इस मामले में कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।
नियम ताक पर रख उच्च हिमालयी क्षेत्र में पहुंच रहे ट्रैकर
उच्च हिमालयी क्षेत्र में ट्रैकर नियम ताक पर रख पहुंच रहे हैं। प्रशासन, पुलिस, पर्यटन विभाग व वन विभाग को ट्रैकिंग पर गए दल के बारे में कोई जानकारी नहीं होती है। बीते आठ वर्षों में इन उच्च हिमालयी ट्रैक रूट पर 12 से अधिक ट्रैकिंग दल फंस चुके हैं। 2015 में दो, 2017 में पांच और 2018 में एक ट्रैकर को गंवानी जान पड़ी थी।
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