देहरादून: आबकारी विभाग का दावा है कि उत्तराखंड में नई आबकारी नीति से राज्य में शराब तस्करी पर लगाम लगेगी। विभाग का कहना है कि जल्द ही राज्य में हिमालय की जड़ी-बूटियों और फलों से तैयार उच्च क्वालिटी की उम्दा शराब बनाई जाएगी। इससे जहां पर्वतीय क्षेत्रों में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे, वहीं सरकार के राजस्व में इजाफा होने के साथ ही जहरीली शराब और तस्करी पर भी लगाम लग सकेगी। विभाग के अनुसार सरकार ने नए वित्तीय वर्ष की आबकारी पॉलिसी में ये प्रावधान किया है। जिस तरह से यूरोप के स्काटलैंड, इटली, फ्रांस आदि की शराब दुनिया में ख्यातिलब्ध है, उसी तर्ज पर अब हिमालय की जड़ी-बूटियों और फलों की शराब भी नई पहचान बनाएगी। आबकारी आयुक्त एचसी सेमवाल के अनुसार नई शराब नीति में अंग्रेजी शराब की दुकानों में स्वास्थ्य के मद्देनजर उत्तम और सस्ती मेट्रो शराब की बिक्री होगी।
यह शराब जहां राजस्व बढ़ाने एवं जनस्वास्थ्य के लिहाज से महत्वपूर्ण साबित होगी। वहीं, खासकर पड़ोसी राज्यों हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, चंडीगढ़, उत्तरप्रदेश से होने वाली शराब की तस्करी भी रुकेगी। इस फैसले से राज्य में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार बढ़ने के साथ ही पहाड़ में पलायन रोकने में भी मदद मिलेगी। आबकारी आयुक्त ने बताया कि मेट्रो शराब जड़ी-बूटियों के साथ ही माल्टा, पुलम, सेब, आड़ू, काफल, किंगोड़, ईशर, बमोर जैसे नामों से ब्रांड तैयार होंगे। इसे 40 प्रतिशत अल्कोहल तीव्रता ब्रांडेड शराब की तर्ज पर बनाया जाएगा। यह मदिरा सरकारी ठेकों पर बिकेगी। डिस्टलरी से लेकर दुकान तक पहुंचाने, बेचने पर विभाग की इसकी मॉनिटरिंग करेगा। नई शराब नीति में इसको पूरे राज्य में बेचने का प्रावधान किया है। सेमवाल ने बताया कि मेट्रो कोई कंपनी नहीं बल्कि अंग्रेजी और देशी के बीच का शब्द है, जो हर राज्य और विदेशों में प्रचलित है। वैश्विक प्रतिस्पर्धा में अपने राज्य के स्थानीय उत्पादों को एक अच्छा बाजार उपलब्ध कराने के लिए मेट्रो मदिरा का उत्पादन जहां एक और राज्य के उत्पादों को एक नई पहचान देगा वहीं, तेजी से बदलती अर्थव्यवस्था में एक उत्प्रेरक का कार्य करेगा।