हिमाचल प्रदेश

इनकी भक्ति से सब हैरान! UP से दंडवत यात्रा पर निकले श्रद्धालु पहुंचे ऊना, 4 महीने पहले निकले थे घर से

Gulabi Jagat
25 July 2022 2:45 PM GMT
इनकी भक्ति से सब हैरान! UP से दंडवत यात्रा पर निकले श्रद्धालु पहुंचे ऊना, 4 महीने पहले निकले थे घर से
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इनकी भक्ति से सब हैरान
ऊना: उत्तर प्रदेश के 2 जिले हाथरस और एटा के सीमांत क्षेत्रों में रहने वाले 2 मित्र दंडवत यात्रा पर निकले हैं. मां ज्वाला जी और माता कांगड़े वाली (बज्रेश्वरी देवी मंदिर) के दर्शन के लिए करीब साढ़े 4 महीने पूर्व शुरू हुई यह यात्रा सोमवार को ऊना पहुंची. हैरत है कि इस यात्रा में चल रहे दो लोगों में से एक दिव्यांग है जो अपनी ट्राई साइकिल पर अपने सहयोगी का साथ दे रहा है. इससे भी ज्यादा रोचक बात यह है कि न तो कोई मन्नत और न ही कोई मुराद केवल मात्र दर्शन के लिए इस तरह की यात्रा आस्था का बड़ा प्रतीक बनकर उभरी है.
दिव्यांग विपिन उपाध्याय एटा जिले के हाथरस सीमा से जुड़े गांव के अपने दोस्त सत्येंद्र यादव के साथ इस यात्रा पर निकले हैं. विपिन उपाध्याय ट्राई साइकिल पर चल रहे हैं, जबकि सत्येंद्र यादव दंडवत इस यात्रा को पूरा कर रहे हैं. देवी-देवताओं के प्रति आस्था के कई उदाहरण हमारे सामने आए हैं, लेकिन सोमवार को ऊना जिले में उत्तर प्रदेश के दो ऐसे श्रद्धालु मां ज्वाला जी और मां कांगड़े वाली (बज्रेश्वरी देवी मंदिर) के दर्शनों के लिए माता के दरबार की तरफ बढ़ते हुए दिखाई दिए जो दिव्यांगता की चुनौती के बावजूद आस्था के वशीभूत इस कठिन यात्रा पर निकले हैं.
उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले के निवासी दिव्यांग विपिन उपाध्याय और उनके सात एटा जिले के उनके मित्र सत्येंद्र यादव दंडवत होकर देवियों के दर्शन के लिए निकले हैं. करीब साढ़े 4 महीने पहले यह यात्रा शुरू हुई थी. वहीं, आने वाले 20 दिनों तक यह मां ज्वाला के दरबार में दस्तक देने वाले हैं, जबकि इसके बाद इसी तरह से इनका दंडवत काफिला माता कांगड़ा वाली के दरबार की तरफ बढ़ चलेगा.
सत्येंद्र यादव और विपिन उपाध्याय बताते हैं कि वह किसी मन्नत या मुराद के चलते नहीं, लेकिन केवल मात्र माता के दर्शन के लिए दंडवत होकर जा रहे हैं. सत्येंद्र यादव 15 बार पैदल यात्रा कर चुके हैं, जबकि दंडवत रूप में यह उनकी दूसरी यात्रा है. यहां तक कि अपने खाने-पीने का प्रबंध भी साथ में करके चले हैं और यात्रा के दौरान जहां भी ठहराव मिलता है वहां पर खुद खाना पका कर खाते हैं और आगे बढ़ चलते हैं.
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