हरिद्वार न्यूज़: हरिद्वार में जलभराव दूर करने की योजनाओं की सबसे बड़ी खामी यह रही कि, ये हरिद्वार की भौगोलिक स्थिति के अनुरूप नहीं बनाई गईं. हरिद्वार में न तो मास्टर प्लान लागू हुआ, न ही नालों की क्षमता बढ़ाई गई. ज्यादातर नाले अतिक्रमण की चपेट में हैं. शहर का मौजूदा ड्रेनेज सिस्टम नालों पर निर्भर है.
हरिद्वार में आबादी काफी तेजी से बढ़ रही है. लेकिन बढ़ती आबादी के अनुसार जल निकासी के लिए कुछ नहीं किया गया. यह जरूर है कि, भविष्य में ड्रेनेज सिस्टम को कारगर बनाने के लिए योजना बनाई जा रही है. उत्तराखंड सिंचाई विभाग को ड्रेनेज सिस्टम के लिए नोडल बनाया गया है. शहर से अतिक्रमण हटाने में व्यस्त होने के कारण सिंचाई विभाग अभी योजना पर अधिक कार्य नहीं कर सका है. योजना की डीपीआर तैयार कर शासन को जल्द भेजने के बात सिंचाई विभाग के अधिकारी कर रहे हैं.
वर्ष 2011 में नगर पालिका हरिद्वार को भंग कर नगर निगम अस्तित्व में आया. इस दौरान नगर निगम की सीमा का विस्तार किया गया. नगर निगम बनने के बाद पुराने क्षेत्रों के साथ नए क्षेत्रों में भी जलभराव की समस्या बनी रहती है. शहर में छोटे-बड़े 32 नालें हैं. हरिद्वार, कनखल और जवालापुर में नालों पर अतिक्रमण है. अधिकांश नालों को ऊपर से बंद कर दिया गया है. बारिश के पानी की निकासी न होने के कारण हल्की बारिश में भी सड़कें तालाब बनी नजर आती हैं.
इन क्षेत्रों में है जलभराव की समस्या उत्तरी हरिद्वार, अपर रोड, सब्जी मंडी भूरे की खोल आदि में जलभराव की समस्या है. कनखल के लाटोवाली, कनखल थाना क्षेत्र, ज्वालपुर रोड, सतीघाट, रविदास बस्ती आदि क्षेत्रों में भी जलभराव से लोग परेशान रहते हैं. ज्वालपुर के भगत सिंह चौक, कटहरा बाजार, पीठ बाजार, चौक बाजार, पुरानी सब्जी मंडी, कोटरावान, चौहनान, ज्वालपुर, सुभाष नगर, पांवधोई, धीरवाली, सुभाष नगर आदि क्षेत्रों सहित ज्वालापुर रेलवे अंडर पास, नाथनगर रेलवे अंडर पास में जलभराव हल्की बारिश में हो जाता है.
30 से बढ़कर 60 हो गए वार्ड नगर निगम बनने के बाद हरिद्वार में वार्डों की संख्या 30 से बढ़कर 60 हो गई है. नगर निगम के क्षेत्र में विस्तार होने के बाद भी जलभराव की समस्या से निजात दिलाने के लिए कोई कार्य नहीं हुआ है. अब भी शहर के अधिकांश क्षेत्रों में बारिश के पानी की निकासी करीब 30 साल पहले बने नालों पर निर्भर है. कई क्षेत्रों में नालों का लेवल भी संतुलित नहीं हो सका है.
इस कारण नुकसान हरिद्वार में मानसून से नगर निगम नालों की सफाई नहीं करता है. नालों में कूड़ा और कीचड़ जमा होने के कारण बारिश के पानी की निकासी नहीं होती है. साथ ही नालों की क्षमता कम है.