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दीपावली पर्व को लेकर नगर पूरी तरह सज-धज गया है
बागेश्वर : दीपावली पर्व को लेकर नगर पूरी तरह सज-धज गया है। प्रदोष काल में लक्ष्मी की पूजा होती है। लक्ष्मी पूजन में शंख ध्वनि नहीं की जाती है। कमल दलों से पूजा करने से लक्ष्मी प्रसन्न होती है। लक्ष्मी को योग शक्ति माना गया है। लक्ष्मी शक्ति संसार को जोड़ती है और सीता की पूजा लक्ष्मी के रूप में होती है।
पंडितों के अनुसार अमावस्या तिथि चार नवंबर 2021 सुबह छह बजकर तीन मिनट से पांच नवंबर की तड़के दो बजकर 44 मिनट तक रहेगी। लक्ष्मी पूजा करने का शुभ मुहूर्त प्रदोष काल शाम छह बजकर नौ मिनट से रात्रि आठ बजकर 20 मिनट तक रहेगा। हालांकि इसके बाद भी लोग पूजा-अर्चना कर सकते हैं।
पूजा विधि
लक्ष्मी-गणेश की प्रतिमा की पूजा की जाती है। लक्ष्मी को धन, संपत्ति की देवी माना जाता है। वहीं भगवान गणेश बुद्धि और कार्य को सफल करने वाले देवता माने जाते हैं। लक्ष्मी पूजा में मीठे का भोग जैसे खीर, मिठाई, हलवा व मोदक का भोग लगाया जाता है।
दीपावली का महत्व
भगवान राम जब लंका के राजा राक्षस रावण पर विजय पाकर 14 वर्ष बाद अयोध्या लौटे तो उनके सकुशल आगमन की खुशी में नगरवासियों ने दीपों की कतारें सजाकर उत्सव मनाया था। तब से ही दीपावली का पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत और अंधकार पर प्रकाश की विजय रूप में मनाया जाता है। प्रदोष काल में लक्ष्मी पूजन करें। लक्ष्मी पूजन में शंख ध्वनि नहीं करें। कमलदलों से पूजा करें। लक्ष्मी शक्ति संसार को जोड़ती है। योग शक्ति से पूजन करने से लक्ष्मी प्रसन्न होती है।
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