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जोशीमठ: जोशीमठ में भू-धंसाव का अध्ययन कर रहे सभी आठ तकनीकी संस्थानों ने अपनी प्राथमिक रिपोर्ट राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) को सौंप दी है। इन रिपोर्ट में क्या है, इसका खुलासा नहीं किया गया है। शासन का कहना है कि विश्लेषण के बाद एनडीएमए शीघ्र ही अपनी रिपोर्ट राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (यूएसडीएमए) को सौंपेगा। तकनीकी संस्थाओं की फाइनल रिपोर्ट आने में अभी वक्त लगेगा।
बुधवार को राज्य सचिवालय स्थित मीडिया सेंटर में जोशीमठ पर डेली ब्रीफिंग देते हुए सचिव आपदा प्रबंधन डॉ. रंजीत सिन्हा ने बताया कि इस मामले में केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (सीबीआरआई) को नोडल एजेंसी बनाया गया था। सीबीआरआई ने सभी संस्थानों की रिपोर्ट का परीक्षण करने के बाद इन्हें एनडीएमए को भेज दिया है।
डॉ. सिन्हा ने बताया कि अब एनडीएमए की ओर से इन रिपोर्ट का विशलेषण किया जाएगा। इसके बाद ही यह रिपोर्ड यूएसडीएमए को भेजी जाएंगी। रिपोर्ट में क्या है इस बारें में उन्होंने अनभिज्ञता जताई। उन्होंने कहा कि अभी इस बारें में कुछ नहीं कहा जा सकता है।
23 दिन बाद रिपोर्ट सौंपी, नतीजों का पता नहीं
जोशीमठ में भू-धंसाव की ताजा स्थितियों के बीच करीब 23 दिन बीत जाने के बाद तकनीकी वैज्ञानिक संस्थाओं ने रिपोर्ट सौंप दी है। लेकिन इन रिपोर्ट में क्या है, इसे लेकर शासन के हाथ भी खाली हैं। इस हिसाब से देखा जाए तो सरकार अब भी जोशीमठ के मामले में कोई भी नीतिगत फैसला लेने के मामले में अनिर्णय की स्थिति में ही है।
कौन सी एजेंसी कर रही थी क्या काम
1. केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (सीबीआरआई): दरार वाले भवनों की जांच के साथ ही उनके ध्वस्तीकरण की कार्रवाई, अस्थाई पुनर्वास के लिए प्री-फेब्रीकेटेड मॉडल भवन बनाना।
2. वाडियाः सिस्मोलॉजी भू-भौतिकीय अनवेष्ण के साथ ही जियोफिजिकल सर्वेक्षण का काम, संस्थान को अपनी फाइनल रिपोर्ट दो माह में सौंपनी है।
3. आईआईटी रुड़कीः आईआईटी रुड़की की ओर से जोशीमठ में भू-तकनीकी अध्ययन (जियोटेक्निकल सर्वे) किया जा रहा है। इस अध्ययन में संस्थान के वैज्ञानिक पता लगाएंगे कि जोशीमठ के भूगर्भ में मिट्टी और पत्थरों की क्या स्थिति है। उसकी भार क्षमता कितनी है।
4. एनजीआरआई, हैदराबादः जियोफिजिकल और जियोटेक्निकल सर्वे का काम कर रही है। के जरिए जोशीमठ में 30 से 50 मीटर गहराई तक का भूगर्भ का मैप तैयार करेगी। तीन सप्ताह में अपनी अंतिम रिपोर्ट सरकार को सौंपनी है।
5. राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान (एनआईएच): जोशीमठ में हाईड्रोलॉजिकल सर्वे कर रही है। संस्थान की टीम यहां एक जमीन पर सतह और भूगर्भ में बहने वाले पानी का पूरा मैप तैयार करेगी।
6. भारतीय भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई): जोशीमठ में प्रभावित क्षेत्र का भूमि सर्वेक्षण एवं पुनर्वास किए जाने के लिए चयनित भूमि का भूगर्भीय अध्ययन कर रही है।
7. सेंट्रल ग्राउंड वाटर बोर्ड (सीजीडब्ल्यूबी): जमीन के भीतर स्प्रींग वाटर और उसके बहने की दिशा और दशा का पता लगाएगा।
8. भारतीय सुदूर संवेदन संस्थान (आईआईआरएस) : जोशीमठ के ग्राउंड मूवमेंट पर लगातार नजर बनाए हुए है। संस्थान तीन माह में अंतिम रिपोर्ट सरकार को सौंपेगा।
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Rani Sahu
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