उत्तराखंड

अंग्रेजों भारत छोड़ो' की गूंज, हरिद्वार में कैदी बने स्वतंत्रता सेनानी, सुनाई दी

Admin4
9 Aug 2022 4:15 PM GMT
अंग्रेजों भारत छोड़ो की गूंज, हरिद्वार में कैदी बने स्वतंत्रता सेनानी, सुनाई दी
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हरिद्वार/हल्द्वानीः ‌जिला कारागार में मंगलवार को अंग्रेजों भारत छोड़ो (British leave India) की गूंज सुनाई दी. भारत छोड़ो आंदोलन के अवसर कारागार में रैली (Prisoners took out a rally in Haridwar Jail) निकाली गई. इसमें बंदी व कैदियों ने महात्मा गांधी समेत अन्य स्वतंत्रता संग्राम सेनानी (Prisoner became freedom fighters in Haridwar jail) बनाकर यात्रा निकाली.

देश के राष्ट्रपति महात्मा गांधी ने अंग्रेजों की गुलामी से भारत को आजाद कराने के लिए 8 अगस्त 1942 को भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत की थी. यह आंदोलन पूरे देश में आग की तरह फैला. आंदोलन की शुरुआत में महात्मा गांधी ने करो या मरो का नारा दिया था. आंदोलन को लेकर मंगलवार को जिला कारागार में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इसमें कारागार में बंद बंदियों ने भारत छोड़ो आंदोलन की तर्ज पर यात्रा निकाली. इस यात्रा में महात्मा गांधी का वेश बनाए बंदी के पीछे सभी अन्य बंदी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी बनकर चलते दिखे.

वरिष्ठ जेल अधीक्षक मनोज कुमार आर्य ने बताया क‌ि आजादी के अमृत महोत्सव के तहत विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन जिला कारागार में किया जा रहा है. इस तरह के कार्यों को जिला कारागार में कराने का विशेष मकसद यही है कि जिला कारागार में बंद कैदियों को देश प्रेम और अध्यात्म की ओर आकर्षित किया जा सके.

कैदियों ने तैयार की तिरंगा लाइटः देश आजादी का 75वां अमृत महोत्सव मना रहा है. अमृत महोत्सव के मौके पर जहां हर घर तिरंगा अभियान के तहत लोग अपने घरों पर झंडा लगा रहे हैं. तो दूसरी तरफ हल्द्वानी जेल के कैदी आजादी का अमृत महोत्सव पर पहल करते हुए एक निजी संस्था के सहयोग से एलईडी बल्ब से बने तिरंगा लाइट तैयार कर रहे हैं. इन तिरंगा लाइट को सरकारी कार्यालयों में बेचने का काम भी किया जा रहा है. तिरंगे के एलईडी बल्ब से सरकारी भवनों को भी सजाया जा रहा है. हल्द्वानी जेल में बंद करीब 200 कैदी इस एलईडी बल्ब से तैयार तिरंगा लाइट का निर्माण कर रहे हैं.

प्रभारी जेलर आरपी सैनी ने बताया कि कैदियों को आत्मनिर्भर से जोड़ते हुए जेल प्रशासन द्वारा पहल की गई है. जहां कैदी फर्नीचर, सीमेंट के गमले, रंग बिरंगी एलईडी बनाने का काम कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि कैदियों को आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास किया जा रहा है. इससे कैदी जेल से छूटने के बाद आत्मनिर्भर बन सकेंगे. लाइट की कीमत 2700 रुपए रखी गई है.

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