उत्तराखंड

टॉप टू बॉटम तकनीकी से गौला नदी के किनारों पर रुकेगा भूकटाव, जानिए क्या हैं प्लान

Admin Delhi 1
3 Nov 2022 2:51 PM GMT
टॉप टू बॉटम तकनीकी से गौला नदी के किनारों पर रुकेगा भूकटाव, जानिए क्या हैं प्लान
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हल्द्वानी न्यूज़: गौला नदी से हो रहे भूकटाव की रोकथाम टॉप टू बॉटम तकनीकी से की जाएगी । इससे पूर्व आईआईटी रुड़की से गौला नदी का शीशमहल से शांतिपुरी तक आपदा के लिहाज से सर्वे कराया गया है। तराई पूर्वी वन डिवीजन ने गौला नदी से हो रहे भूकटाव की रोकथाम के लिए आईआईटी रुड़की से सर्वे कराया था। आईआईटी विशेषज्ञों ने शीशमहल से लेकर शांतिपुरी तक तकरीबन 30 किमी लंबाई तक गौला का अध्ययन किया। इसके बाद विशेषज्ञों ने शीशमहल से शांतिपुरी तक 16 संवेदनशील स्थान चिन्हित किए हैं। इनमें गौला बाइपास पुल के ऊपरी-निचले हिस्सा, आंवला चौकी, गोरापड़ाव, बेरीपड़ाव, मोटा हल्दू, हाथी कॉरिडोर, रावत नगर आदि शामिल हैं। अध्ययन में सामने आया है कि गौला नदी बाएं किनारे की तरफ अधिक भूकटाव कर रही है इससे बाएं तरफ का इलाका अधिक संवेदनशील हो जाता है। इस रिपोर्ट के बाद वन विभाग ने गौला नदी से भूकटाव रोकने के लिए टॉप टू बॉटम तकनीकी अपनाने का फैसला किया है।

यह होती है टॉप टू बॉटम तकनीकी: इस तकनीकी में नदी में जहां से भूकटाव की शुरुआत से लेकर अंत तक के स्थान पर ट्रीटमेंट किया जाएगा। खासकर, संवेदनशील स्थानों पर स्पर व सुरक्षा दीवार बनाई जाएगी। इससे नदी के पानी का वेग कम होगा और पानी दोनों किनारों पर टकरा कर बीच में मुख्य धारा में रहेगा और किनारों पर तबाही नहीं मचा सकेगा।

सिंचाई विभाग बनाएगा डीपीआर: तराई पूर्वीवन डिवीजन के डीएफओ संदीप कुमार ने डीएम धीराज सिंह गर्ब्याल को पत्र लिखा है। इस पत्र में उन्होंने आपदा प्रबंधन और आईआईटी रुड़की की रिपोर्ट का हवाला देते हुए डीएम से अनुरोध किया है कि गौला नदी किनारे स्पर, सुरक्षा दीवार निर्माण के लिए डीपीआर बनाने के लिए सिंचाई विभाग को निर्देश दें, ताकि तकनीकी तौर पर ठोस कार्ययोजना बनाई जा सके हालांकि निर्माण बजट आवंटन के बाद ही होगा। इस तरह नदी से मानसून या अतिवृष्टि में बाढ़ जैसे हालात नहीं हो।

गौला नदी में किनारों पर हो रहे भूकटाव की रोकथाम के लिए आईआईटी रुड़की से सर्वे कराया था। शीशमहल से शांतिपुरी तक 16 स्थान संवेदनशील चिन्हित किए गए हैं, यहां स्पर बनाए जाएंगे। सिंचाई विभाग से इसकी डीपीआर बनवाई जाएगी।

-संदीप कुमार, डीएफओ तराई पूर्वी वन डिवीजन हल्द्वानी

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