देवभूमि में बाढ़ और आपदा से निबटने ने लिया तैयार होगा अर्ली वार्निंग सिस्टम
अल्मोड़ा न्यूज़: उत्तराखंड के हिमालयी राज्यों में बाढ़ नियंत्रण और आपदा से होने वाले नुकसान को कम करने के लिए ठोस प्रयास किए जाएंगे। इसके लिए जीबी पंत पर्यावरण संस्थान और यूनाइटेड किंगडम का बाथ स्पा विश्व विद्यालय संयुक्त रूप से कार्य करेंगे। इस संबंध में दोनों संस्थान एक संपूर्ण डाटाबेस भी तैयार करेंगे। गोविंद बल्लभ पंत राष्ट्रीय पर्यावरण संस्थान और बाथ स्पा विवि यूनाइटेड किंगडम के बीच सोमवार को हुए एक करार के दौरान संस्थान के निदेशक डॉ. सुनील नौटियाल ने यह बात कही। उन्होंने बताया कि दोनों संस्थानों के बीच हुआ यह समझौता हिमालयी राज्यों में अचानक आने वाली बाढ़ के कारण पैदा होने वाले खतरों और जोखिम को कम करने और इसके प्रबंधन के लिए मील का पत्थर साबित होगा। इस अवसर पर संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. जेसी कुनियाल द्वारा प्रतिनिधि मंडल के साथ अपने अनुभव साझा किये गए। उन्होंने बताया कि कैसे उनके द्वारा पूर्व में हिमाचल प्रदेश में किए गए अध्ययन को उत्तराखंड समेत अन्य भूकंप एवं भूक्षरण हेतु संवेदनशील भारतीय हिमालयी क्षेत्र में दोहराया जा सकता है। जिससे कि इस संबंधी एक सम्पूर्ण डेटाबेस तथा अर्ली वार्निंग सिस्टम तैयार किया जा सके। इस दौरान बाथ स्पा विश्वविद्यालय से आए प्रतिनिधि मंडल द्वारा संस्थान के सूर्यकुंज तथा प्रकृति संरक्षण एवं विश्लेषण केंद्र का भ्रमण किया गया।
संस्थान के वैज्ञानिक डॉ. आशीष पांडे एवं डॉ. सुबोध ऐरी द्वारा सूर्यकुंज तथा प्रकृति संरक्षण एवं विश्लेषण केंद्र की विशेषताओं तथा तथा इसमें संरक्षित की जा रही विभिन्न पादप प्रजातियों के बारे में प्रतिनिधि मंडल को विस्तार से जानकारी दी। इसके अलावा उन्होंने बताया कि किस प्रकार सूर्यकुंज जन भागीदारी द्वारा पर्यावरणीय शिक्षा के प्रचार प्रसार में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है। प्रतिनिधियों द्वारा संस्थान द्वारा की जा रही प्रकृति संरक्षण, संवर्धन एवं पर्यावरणीय शिक्षा की दिशा में किए जा रहे कार्यों की सराहना की। कार्यक्रम से पूर्व संस्थान के निदेशक डॉ. सुनील नौटियाल ने बाथ स्पा विश्वविद्यालय के खतरा, जोखिम और आपदा अनुसंधान समूह के निदेशक डॉ. रिचर्ड जॉनसन और भौतिक भूगोल में टीचिंग फेलो डॉ. सेरी डेविस का स्वागत किया।
इस मौके पर डॉ. शैलजा पुनेठा, परोमिता घोष, सुमित रॉय, कपिल केसरवानी, वाई के रॉय, जेसी कुनियाल समेत संस्थान के अनेक वैज्ञानिक मौजूद रहे।