उत्तराखंड
पूर्व सीएम त्रिवेंद रावत के कार्यकाल में सबसे अधिक जमीनें उद्योग धंधों के नाम पर हुईं आवंटित
Ritisha Jaiswal
21 Aug 2022 3:49 PM GMT
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उत्तराखंड में राज्य बनने के बाद बेतहाशा जमीनों की खरीद फरोख्त हुई. बाहरी प्रदेशों से आए लोगों ने प्राइवेट लैंड तो जमकर खरीदी
उत्तराखंड में राज्य बनने के बाद बेतहाशा जमीनों की खरीद फरोख्त हुई. बाहरी प्रदेशों से आए लोगों ने प्राइवेट लैंड तो जमकर खरीदी. साथ ही उद्योग के नाम पर भी सरकारी जमीन हड़पने की बड़ी साजिशें हईं. लिहाजा, सरकार ने 31 अगस्त 2021 को एक ठोस भू-कानून बनाने को सुझाव देने के लिए विशेषज्ञ समिति का गठन किया है.
इस समिति ने जब सभी जिलों से सरकारी लैंड खरीद का रिकॉर्ड मांगा तो चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए. कुमाऊं और गढ़वाल सहित सात जिलों में उद्योगों के लिए जमीन खरीद के लिए 840 अनुमतियां दी गईं. इनमें से करीब दौ सो फर्म ने इस जमीन का दुरुपयोग किया. आश्चर्य की बात यह है कि उद्योग तो लगे नहीं उलटे कई जगह प्लॉटिंग कर जमीन बेच दी गई.
पूर्व सीएम त्रिवेंद्र रावत पर उठ रहे सवाल?
बता दें कि पूर्व सीएम त्रिवेंद रावत के कार्यकाल में सबसे अधिक जमीनें उद्योग धंधों के नाम पर आवंटित हुईं. दरअसल, त्रिवेंद्र रावत सरकार ने अपने कार्यकाल में भू-कानून में तीन से चार संशोधन कर उद्योगों के लिए उत्तराखंड में जमीन की राह आसान कर दी थी. पांच हेक्टेयर तक ही जमीन खरीद पाने की अधिकतम लिमिट को सरकार ने संशोधन के जरिए समाप्त कर दिया था.
पूर्व सीएम ने ये दिया जवाब
पूर्व सीएम त्रिवेंद रावत का कहना है कि इसके पीछे मंशा थी कि उत्तराखंड में निवेश को आकर्षित किया जाए. प्रावधान ये भी था कि यदि संबंधित जमीन पर दो साल तक कोई उद्योग नहीं लगाएगा, तो उसे स्वयं सरकार में मर्ज मान लिया जाएगा.
हालांकि हिमाचल के भू-कानून का अध्ययन करने के बाद भू-कानून संशोधन समिति ने मौजूदा भू-कानून में आवश्यक संशोधनों का ड्राप्ट तैयार कर लिया है. 23 अगस्त को होने वाली समिति की अंतिमि मीटिंग में इसे फाइनल टच देकर सरकार को सौंप दिया जाएगा.
समिति ने ये दिए हैं सुझाव
मिली एक्सक्लूसिव जानकारी के मुताबिक, समिति ने ऐसी सभी जमीनों को तत्काल एक्वायर करने का सुझाव दिया है जो उद्योग के नाम पर ली गई थीं लेकिन उसका दुरुपयोग किया गया. समिति ने त्रिवेंद्र सरकार के उस आदेश को निरस्त करने का सुझाव दिया है, जिसके तहत सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम श्रेणी के उद्योगों के लिए डीएम को जमीन खरीद की अनुमति देने का अधिकार दे दिया गया था.
समिति ने 2020 में एक संशोधन के तहत राज्य भर में उद्योगों के लिए भूमि खरीद का जो असीमित अधिकार दे दिया था उसको भी निरस्त करने का सुझाव दिया है. इसकी जगह हिमाचल की तर्ज पर जिस उद्योग के लिए जितनी भूमि की आवश्यकता है, उस उद्योग को उतनी भूमि की अनुमति दी जाए.
ताकि राज्य की जमीनें सुरक्षित रहें
समिति के सदस्य अजेंद्र अजय का कहना है कि हम एक ऐसा भू-कानून बनाने का सुझाव सरकार को देने जा रहे हैं. जिससे राज्य की जमीनें भी सुरक्षित रहें और उद्योगों को भी नुकसान न हो. साथ ही वे आम जनता के हित में भी सुरक्षित रहें. यदि सरकार ने समिति के सुझावों के ड्राप्ट को हू-ब-हू भू-कानून संशोधन में शामिल कर लिया तो त्रिवेंद्र सरकार के कार्यकाल में भू-कानून में किए गए सभी संशोधन समाप्त हो जाएंगे.
नए भू-कानून के तहत बाहरी व्यक्ति को जमीन खरीदना अब आसान नहीं होगा. उन्हें पर्वतीय क्षेत्रों में ग्राम सभा लेवल पर गठित कमेटी से अनापत्ति प्रमाण पत्र लेना अनिवार्य होगा
Ritisha Jaiswal
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