उत्तराखंड

डीजीपी अशोक कुमार ने दिए संकेत, उत्तराखंड में पेपर लीक के बाद दो और भर्ती परीक्षाओं की होगी जांच

Renuka Sahu
20 Aug 2022 4:50 AM GMT
DGP Ashok Kumar indicated, after paper leak in Uttarakhand, two more recruitment examinations will be investigated
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फाइल फोटो 

स्नातक स्तरीय भर्ती परीक्षा के पेपर लीक मामले में ताबड़तोड़ गिरफ्तारियों के बीच सचिवालय सुरक्षा संवर्ग और कनिष्ठ सहायक परीक्षाओं की जांच एसटीएफ को सौंप दी गई है। वर्तमा

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। स्नातक स्तरीय भर्ती परीक्षा (UKSSSC) के पेपर लीक मामले में ताबड़तोड़ गिरफ्तारियों के बीच सचिवालय सुरक्षा संवर्ग और कनिष्ठ सहायक (ज्यूडिशियल) परीक्षाओं की जांच एसटीएफ को सौंप दी गई है। वर्तमान में चल रहे स्नातक स्तरीय भर्ती पेपर लीक मामले में शामिल गैंग पर इन परीक्षाओं का पेपर भी आउट करने का संदेह है।

कनिष्ठ सहायक में नियुक्ति हो चुकी है, जबकि सचिवालय सुरक्षा में रिजल्ट के बाद प्रक्रिया रुकी हुई है।आयोग ने 2020 में लोअर कोर्ट में कनिष्ठ सहायक के 272 पदों के लिए भर्ती परीक्षा आयोजित की थी, गत वर्ष अप्रैल में चयनित अभ्यर्थियों को नियुक्ति प्रदान की जा चुकी है। इसी तरह सचिवालय सुरक्षा संवर्ग के 33 पदों के लिए गत मई में रिजल्ट जारी हो चुका है।
इस बीच स्नातक स्तरीय भर्ती परीक्षा के पेपर लीक मामले की जांच के दौरान गिरफ्तार आरोपितों द्वारा इन दो परीक्षाओं में भी गड़बडी के पुख्ता संकेत मिले हैं। इस आधार पर डीजीपी अशोक कुमार ने उक्त दोनों परीक्षाओं की जांच एसटीएफ को ही सौंप दी है। कनिष्ठ सहायक ज्यूडिशियल में सफल तीन अभ्यर्थी, स्नातक स्तरीय भर्ती लीक गैंग में शामिल पाए जाने पर गिरफ्तार भी हो चुके हैं। इसलिए एसटीएफ को संदेह है कि उक्त सभी पूर्व में संचालित गिरोह के जरिए ही इस परीक्षा में सफल हुए हैं। संबंधित खबर P02
वर्तमान में चल रही जांच के दौरान, सचिवालय सुरक्षा संवर्ग और कनिष्ठ सहायक (ज्यूडिशियल) में भी गड़बड़ी के संकेत मिले हैं। इसलिए वर्तमान जांच के साथ ही इन दो परीक्षाओं की जांच का भी निर्णय लिया गया है। जल्द से जल्द आरोपी सलाखों के पीछे होंगे।
फॉरेस्ट गार्ड भर्ती मामले की जांच की तैयारी
डीजीपी ने 2019 में 1268 पदों के लिए आयोजित फॉरेस्ट गार्ड भर्ती मामले का फिर कानूनी तौर पर परीक्षण कराने की भी बात कही है। इस मामले में पुलिस ने तब दो प्राइवेट लोगों की शिकायत पर ही मुकदमा दर्ज किया था, जिसमें सरकार को पार्टी नहीं बनाया गया। प्राइवेट पार्टी के बीच समझौता होने से केस कोर्ट में खारिज हो गया। इस कारण नकल के सुबूत होने के बावजूद केस अंजाम तक नहीं पहुंचा।
आपके अपने अखबार 'हिन्दुस्तान' ने 'जिन पर नकल का केस चला, उन्हें नौकरी देनी पड़ेगी' शीर्षक से समाचार प्रकाशित किया था। पोल खुलने के बाद इस मामले में पुलिस प्रशासन को फिर परीक्षण के लिए बाध्य होना पड़ा है।
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