उत्तराखंड

उत्तराखंड सड़क हादसों में DGP अशोक कुमार ने जताई चिंता

Renuka Sahu
23 Aug 2022 5:22 AM GMT
DGP Ashok Kumar expressed concern in Uttarakhand road accidents
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फाइल फोटो 

उत्तराखंड में हर साल औसतन 200 लोगों की हत्याएं होती हैं, जबकि करीब एक हजार लोग सड़क हादसों में मारे जाते हैं।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। उत्तराखंड में हर साल औसतन 200 लोगों की हत्याएं होती हैं, जबकि करीब एक हजार लोग सड़क हादसों में मारे जाते हैं। यह कहना है डीजीपी अशोक कुमार का। वे सहस्रधारा रोड पर पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स और एसडीसी फाउंडेशन के चौथे वॉव पॉलिसी डायलॉग में 'उत्तराखंड में सड़क दुर्घटनाएं' विषय पर बोल रहे थे। डीजीपी ने इस पर चिंता जाहिर की।

उन्होंने कहा कि राज्यभर में सड़क दुर्घटनाओं का एक बड़ा कारण सड़कों पर दिन-प्रतिदिन बढ़ता ट्रैफिक का दबाव है। उन्होंने ड्रंक एंड ड्राइव, ओवरस्पीड और ओवरलोडिंग को भी दुर्घटनाओं का कारण बताया। उन्होंने कहा कि सड़क हादसों की रोकथाम के लिए हमारे पास पॉलिसी तो हैं, लेकिन उनका क्रियान्वयन नहीं किया जा रहा है।
पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स उत्तराखंड चैप्टर के हेमंत कोचर ने वॉव पॉलिसी डायलॉग की अध्यक्षता और एसडीसी फाउंडेशन के अनूप नौटियाल ने संचालन किया। इस दौरान डीआईजी-ट्रैफिक मुख्तार मोहसिन, एसपी ट्रैफिक दून अक्षय कोंडे, वेणु ढींगरा, रश्मि चोपड़ा, संजय भार्गव, आशीष गर्ग, गणेश कंडवाल, एसएस रसायली, परमजीत सिंह कक्कड़, विशाल काला, टन जौहर मौजूद रहे।
सर्वाधिक जान गंवा रहे कामकाजी लोग-उनियाल एम्स ट्रामा सेंटर के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. मधुर उनियाल ने बताया कि सड़क दुर्घटनाओं में उत्तराखंड में कामकाजी लोगों की सबसे ज्यादा मौत हो रही है। हम ओवरस्पीड और ड्रंक एंड ड्राइव तक ही सीमित रहते हैं।
जबकि हादसे के कई और कारण भी होते हैं। खासकर, उन्होंने रोड इंजीनियरिंग का जिक्र किया। उन्होंने बताया कि हादसे रोकने के लिए सड़कों की बनावट पर भी ध्यान दिया जाए। उन्होंने कहा कि देश के कई हिस्सों में जीरो फैटलिटी कॉरिडोर बन रहे हैं, उत्तराखंड में भी ऐसे कॉरिडोर की जरूरत है।
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