उत्तराखंड हाईकोर्ट को डिजिटल बनाने की मांग, नोटिस जारी
नैनीताल: उत्तराखंड उच्च न्यायालय को डिजिटल बनाये जाने को लेकर दायर जनहित याचिका की सुनवाई करते मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी की अगुवाई वाली खंडपीठ ने मंगलवार को प्रदेश सरकार, हाईकोर्ट के रजिस्ट्री विभाग और अन्य पक्षकारों को नोटिस जारी कर तीन सप्ताह में जवाब दाखिल करने के निर्देश दिये हैं।
इस मामले को दिल्ली निवासी आचार्य अजय गौतम की ओर से चुनौती दी गयी है। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि केंद्र सरकार डिजिटल इंडिया को प्राथमिकता दे रही है। देश में अदालतें आधुनिक सुविधाओं की तरफ बढ़ रही हैं, लेकिन उत्तराखंड उच्च न्यायालय आज भी इलाहाबाद उच्च न्यायालय रूल्स, 1952 के तहत ही संचालित हो रहा है।
याचिकाकर्ता की ओर से आगे कहा गया कि उच्च न्यायालय में ई-फाइलिंग, वर्चुअल मोड में सुनवाई जैसी सुविधायें मौजूद नहीं हैं। न ही अदालतें पेपर लेस की दिशा में बढ़ पायी हैं। याचिका में यह भी कहा गया कि नैनीताल शहर से बाहर का कोई अधिवक्ता जब अपने केस की पैरवी करने के लिए उत्तराखंड उच्च न्यायालय में आता है तो उसे अपने केस की 200-250 पेज की फाइल साथ में लानी पड़ती है।
यदि अदालत इसे कागज मुक्त कर दे तो वादकारियों और अधिवक्ताओं को बड़ी सुविधा होगी। मुख्य न्यायाधीश की अगुवाई वाली पीठ ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए याचिकाकर्ता को प्रदेश सरकार समेत अन्य को पक्षकार बनाने के निर्देश दिये हैं। साथ ही सरकार और अन्य पक्षकारों को नोटिस जारी कर तीन सप्ताह में जवाब देने को कहा है। इस मामले में अगली सुनवाई तीन मई को होगी।