उत्तराखंड

सरोवर नगरी के भविष्य पर मंडरा रहा खतरा, अतिक्रमण की भेंट चढ़ रहा नैनीताल

Admin4
25 July 2022 3:21 PM GMT
सरोवर नगरी के भविष्य पर मंडरा रहा खतरा, अतिक्रमण की भेंट चढ़ रहा नैनीताल
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नैनीताल. उत्तराखंड की सरोवर नगरी नैनीताल आज पूरे विश्व में प्रसिद्ध है. यह नगरी प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है. दुनिया के कोने-कोने से पर्यटक यहां की झील का दीदार करने के लिए आते हैं, लेकिन आज यह नगरी अतिक्रमण की भेंट चढ़ गई है. नैनीताल में अंग्रेजों के बसने के बाद 1867 में हुए भूस्खलन की वजह से अंग्रेजों ने नैनीताल का निरीक्षण किया और यह पता लगाया कि नैनीताल के कुछ इलाके जैसे चार्टन लॉज का क्षेत्र, लोअर शेर का डांडा, कुमाऊं यूनिवर्सिटी का डीएसबी कैंपस, जियोलॉजी डिपार्टमेंट का क्षेत्र, यह काफी संवेदनशील इलाके हैं. आज इन असुरक्षित इलाकों में काफी ज्यादा अतिक्रमण हुआ है.

इतिहासकार और पर्यावरणविद डॉ अजय रावत बताते हैं कि साल 1970 में नैनीताल पर्यटन के क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त कर चुका था और तभी से यहां अतिक्रमण होना भी शुरू हो गया था. बड़े-बड़े बिल्डर्स नेयहां जमीन खरीदी और यहां निर्माणकार्य शुरू हो गए.

नैनीताल पर जब भार पड़ने लगा, तो डॉक्टर अजय रावत ने सुप्रीम कोर्ट में साल 1993 में एक जनहित याचिका दायर की थी. इसमें कहा गया था कि ग्रुप हाउसिंग और मल्टी स्टोरी बिल्डिंग का निर्माण नैनीताल में नहीं होगा, हालांकि उसके बावजूद नैनीताल में अतिक्रमण बढ़ता रहा. उत्तराखंड गठन के बाद से यहां निर्माण कार्य बढ़ने लगा.

हाल ही में राजमहल कंपाउंड नैनीताल में रईस अंसारी की बहुमंजिला बिल्डिंग बनाई गई है. बीते सोमवार से नैनीताल जिला विकास प्राधिकरण की तरफ से चौथी मंजिल को ध्वस्त करने की कार्रवाई शुरू की गई थी. फिलहाल हाईकोर्ट की तरफ से अंसारी बिल्डिंग के ध्वस्तीकरण पर फिलहाल रोक लगा दी गई है.

डॉ अजय रावत का कहना है कि अगर समय रहते सभी अतिक्रमण नहीं हटते हैं, तो नैनीताल का भविष्य बेहद ही भयानक हो सकता है

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