उत्तराखंड

वन अनुसंधान केंद्र में बना देश का पहला पॉलीनेटर पार्क

Gulabi Jagat
30 Sep 2022 3:15 PM GMT
वन अनुसंधान केंद्र में बना देश का पहला पॉलीनेटर पार्क
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उत्तराखंड के हल्द्वानी में स्थित वन अनुसंधान केंद्र में राष्ट्र का पहला पॉलीनेटर पार्क बनाया गया है। यह पार्क चार एकड़ जमीन पर बनाया गया है। इसे विकसित करने का उद्देश्य विभिन्न पॉलीनेटर प्रजातियों को संरक्षित करना और इनके महत्व के बारे में लोगों को सतर्क करना है। साथ ही परागण के विभिन्न पहलुओं जैसे- उनके आवासों पर खतरे, प्रदूषण का उन पर असर आदि पर अध्ययन को बढ़ावा देना भी है। इस पार्क में तितली, मधुमक्खी, पक्षियों और कीटों की 40 से अधिक प्रजातियां उपस्थित हैं। वर्ष 2020 में प्रख्यात तितली जानकार पीटर स्मेटासेक ने इस पार्क का उद्घाटन किया था।
वन क्षेत्राधिकारी मदन सिंह बिष्ट ने जानकारी देते हुए बताया कि इस पार्क में कॉमन जेजेबेल, कॉमन इमाइग्रेंट, रेड पैरट, प्लेन टाइगर और लाइम बटरफ्लाई आदि शामिल हैं। पार्क में रस और परागकण पैदा करने वाले फूलों जैसे- गेंदा, गुलाब, गुड़हल, चमेली आदि का पौधा लगाकर विभिन्न पॉलीनेटरों के लिए उपयुक्त प्राकृतिक आवास बनाए गए हैं, जहां मधुमक्खियां, तितली, पक्षी और कीटों को अनुकूल वातावरण मिल रहा है।
पार्क में जामुन, नीम, सेमल समेत कई फलों के पेड़ और आश्रय देने वाले वृक्ष भी लगाए गए हैं।जबकि पोखर आदि बनाकर जल की प्रबंध की गई है। पॉलीनेटर 1.80 लाख से अधिक विभिन्न वनस्पतियों को उनके परागकण फैलाने में योगदान देते हैं और उनके न होने से मिट्टी, हवा, पोषक तत्व और जीवन के लिए महत्वपूर्ण अन्य कारकों की मौजूदगी के बावजूद पौधों की मौजूदा संख्या में गिरावट आ जाएगी।
बता दें कि वन अनुसंधान केंद्र (Uttarakhand Forest Research Institute Haldwani) में कृष्ण वाटिका भी बनाई गई है, जिसमें भगवान श्री कृष्ण के पांच पसंदीदा वृक्ष लगाए गए हैं। यदि आप भी श्री कृष्ण के पांच पसंदीदा पेड़ों का दीदार करना चाहते हैं, तो हल्द्वानी के वन अनुसंधान केंद्र आ सकते हैं। यहां भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं से जुड़े वृक्षों को संरक्षित किया गया है।
वन अनुसंधान केंद्र में जुरासिक पार्क भी बनाया गया है। केंद्र में कोई भी आकर डायनासोर पार्क के बारे में जानकारी ले सकता है। साथ ही वह अन्य वनस्पतियों के बारे में भी जान सकता है। वैज्ञानिकों की सहायता से इस जुरासिक पार्क की स्थापना की गई है, जिसमें डायनासोर की प्रजातियों और उनके खानपान के जानकारी दी गई है
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