बिजली संकट से निपटने को बड़ी कंपनियों से संपर्क साधा
देहरादून न्यूज़: तेजी से घटते बिजली उत्पादन और गहराते बिजली संकट से निपटने को ऊर्जा निगम ने बड़ी कंपनियों से संपर्क साधा है. अक्तूबर 2023 से मार्च 2027 तक के लिए बाजार से अतिरिक्त बिजली जुटाने के इंतजाम किए जा रहे हैं. इस अवधि में 300 मेगावाट प्रतिदिन बिजली जुटाने को कंपनियों से आवेदन मांग लिए गए हैं.
अभी राज्य में यूजेवीएनएल का बिजली उत्पादन आठ एमयू तक सिमटा हुआ है. जबकि राज्य की मौजूदा जरूरत 44 एमयू तक पहुंच गई है. केंद्र सरकार की अतिरिक्त मदद के बावजूद आठ मिलियन यूनिट तक की कमी पेश आ रही है. इसके कारण बाजार पर निर्भरता बढ़ती जा रही है. इसी संकट से निपटने को ऊर्जा निगम ने 300 मेगावाट बिजली लंबे समय के लिए खरीदने को टेंडर जारी कर दिए हैं.
उत्तराखंड में निकट भविष्य में लखवाड़ पावर प्रोजेक्ट से ही बिजली मिलनी है. इस प्रोजेक्ट के भी 2030 से पहले तैयार होने की संभावना कम ही है. गहराते बिजली संकट से निपटने को पहले केंद्र सरकार से लंबे समय के लिए अतिरिक्त बिजली उपलब्ध कराने पर जोर दिया जा रहा है. दूसरी ओर बाजार से भी अतिरिक्त बिजली जुटाई जा रही है.यूपीसीएलके एमडी अनिल कुमार ने बताया कि पावर सप्लाई सिस्टम को पूरी तरह सामान्य बनाए रखने को हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं. इसी के तहत शॉर्ट टर्म के साथ ही मिड टर्म एग्रीमेंट किए जा रहे हैं. ताकि बिजली सप्लाई सिस्टम को पूरी तरह सामान्य बना कर रखा जाए.
हाइड्रो प्रोजेक्ट पर निर्भरता कम करने का प्रयास: राज्य के बिजली सप्लाई सिस्टम की हाइड्रो प्रोजेक्ट पर निर्भरता को कम करने का प्रयास किया जा रहा है. अभी राज्य की कुल बिजली सप्लाई की 60 प्रतिशत हाइड्रो प्रोजेक्ट पर निर्भर है. कम बारिश और कम बर्फवारी के कारण हाइड्रो प्रोजेक्ट से बिजली उत्पादन कम हो जाता है. उत्तराखंड के अपने पावर प्रोजेक्ट और केंद्रीय पावर प्रोजेक्ट से जो बिजली मिलती है, वो कुल डिमांड का 60 प्रतिशत है. हाइड्रो प्रोजेक्ट पर इसी निर्भरता को कम करने का प्रयास हो रहा है.