उत्तराखंड

सीएम पुष्कर सिंह धामी चंपावत में आज करेंगे नामांकन, की पूजा, किया रोड शो

jantaserishta.com
9 May 2022 4:55 AM GMT
सीएम पुष्कर सिंह धामी चंपावत में आज करेंगे नामांकन, की पूजा, किया रोड शो
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चंपावत: उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी आज चंपावत उपचुनाव के लिए अपना नामांकन दाखिल करेंगे. नॉमिनेशन से पहले सीएम धामी ने अपने गृहनगर खटीमा में कुल देवता के मंदिर में पूजा की. इसके बाद वे समर्थकों के साथ चंपावत के लिए रवाना हो गए. बता दें कि मार्च में हुए विधानसभा चुनाव में सीएम धामी खटीमा से चुनाव हार गए थे.

नामांकन से पहले आजतक से बातचीत में सीएम धामी ने कहा कि कई पार्टियों के नेता और कार्यकर्ताओं ने मुझे इस चुनाव को जीतने के लिए आशीर्वाद दिया है. मैं मन, कर्म ओर वचन से चंपावत को देश के मॉडल जिले के रूप में विकसित करूंगा. उन्होंने कहा कि चंपावत में कई धर्मस्थल हैं और मुझे अब इस जिले की सेवा करने का मौका मिलने जा रहा है. धामी का मुकाबला कांग्रेस की निर्मला गहतोरी से होगा.
सीएम पुष्कर सिंह धामी के लिए बीजेपी विधायक कैलाश गहतोड़ी ने चंपावत सीट खाली हुई है. चंपावत सीट से बीजेपी का मजबूत गढ़ माना जाता है. विधानसभा चुनाव 2022 में चंपावत में बीजेपी के कैलाश गहतोड़ी ने कांग्रेस के हेमेश खार्कवाल को 5304 वोटों से हराया था. कैलाश गहतोड़ी को 32547 वोट पड़े जबकि कांग्रेस के हेमेश खर्कवाल को 27243 वोट मिले थे.
बता दें कि पुष्कर सिंह धामी की अगुवाई में बीजेपी विधानसभा चुनाव मैदान में उतरी थी. पुष्कर सिंह धामी अपनी परंपरागत खटीमा सीट से चुनावी मैदान में उतरे थे, लेकिन कांग्रेस के भुवन कापड़ी से मात खा गए थे. धामी ने भले ही अपनी सीट गंवा दी थी, पर सत्ता बचाने में कामयाब रहे थे. यही वजह थी कि बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व ने धामी को चुनाव हारने के बाद भी सत्ता की कमान सौंपी. ऐसे में धामी को अपनी सीएम की कुर्सी बचाए रखने छह महीने के भीतर विधानसभा की सदस्यता लेनी जरूरी है.
चंपावत विधानसभा सीट पुष्कर सिंह धामी के लिए काफी सुरक्षित मानी जा रही है. प्रदेश के गठन के बाद चंपावत सीट पर पांच बार विधानसभा चुनाव हुए हैं, जिनमें से तीन बार बीजेपी और दो बार कांग्रेस ने जीत दर्ज की है. हालांकि, बीजेपी यहां से हर बार अपना कैंडिडेट बदलती रही है जबकि कांग्रेस से हेमेश खर्कवाल ही पांच बार से चुनाव लड़ रहे हैं.
उत्तराखंड चुनाव की बात करें तो बीजेपी ने दोबारा सत्ता में पूर्व बहुमत के साथ वापसी की थी. उस चुनाव में पार्टी ने 47 सीटें जीती थीं, वहीं कांग्रेस महज 19 सीटों पर सिमट गई.

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