देहरादून. उत्तराखंड सरकार में मंत्री रेखा आर्य के खाद्य विभाग से लेकर महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग तक एक ही हफ्ते में दो अलग-अलग आदेशों ने उत्तराखंड की सियासत गरमा दी है. सरकार और संगठन की जो छिछालेदाई हुई वो अलग. इसी के तहत सोमवार को एक ही समय पर दो अलग अलग नेताओं को प्रेस कान्फ्रेस बुलानी पड़ी. प्रेस कॉन्फ्रेंस करने पहले नेता थे कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा. माहरा ने रेखा आर्य को जमकर आड़े हाथ लिया. तो संगठन और सरकार के दबाव के बाद रेखा आर्य का रुख कुछ नर्म नजर आया.
दरअसल, मंत्री रेखा आर्य का पहला आदेश बाल विकास विभाग से 20 जुलाई का है. जिसमें विभाग के सभी अधिकारी, कर्मचारी, आंगनबाड़ी वर्कर्स को 26 जुलाई को शिवालयों में जल चढ़ाकर उसकी फोटो भी विभागीय मेल पर अपलोड करने को कहा गया. आदेश बाहर आते ही विपक्ष ने इसे लपकते हुए सरकार पर तुष्टिकरण के आरोप लगाए.
मंत्री बोलीं- हमारा उद्देश्य बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ के संकल्प को आगे बढ़ाना
लिहाजा, आज मंत्री को अपनी सफाई पेश करनी पड़ी. मंत्री ने कहा कि उनका ऐसा कोई भाव नहीं था कि ये अनिवार्य रूप से किया जाए. एक तरह से ये एक एवरनेस कार्यक्रम है. जिसकी इच्छा हो वो इसमें भाग ले सकता है. आदेश बाध्यकारी नहीं है.
दूसरा विवादित आदेश खाद्य विभाग से था. ज्वाइंट कमिश्नर के इस आदेश में विभाग के अफसरों को अगस्त पहले सप्ताह में यूपी के बरेली में आयोजित होने वाले मंत्री के निजी धार्मिक कार्यक्रम में पहुंचने को कहा गया था. इस पर जब बवाल हुआ तो तब मंत्री ने सफाई दी थी कि कनपटी पर बंदूक रखके नहीं बुलाया है. ये स्वैछा है. धार्मिक कार्यक्रम है, हमने आदेश नहीं निमंत्रण दिया है.
कनपटी पे बंदूक पर देनी मंत्री को सफाई
इस बयान से मामला एक बार फिर तूल पकड़ गया. लिहाजा मंत्री को आज कनपटी पे बंदूक पे भी सफाई देनी पड़ी. उन्होंने कहा कि कनपटी पर बंदूक शब्द का प्रयोग जबरदस्ती की पराकाष्ठा को व्यक्त करने के लिए किया गया था कि हमने कार्यक्रम में आने के लिए किसी के साथ जबरदस्ती नहीं की है. हालांकि, जब मंत्री से पूछा गया कि धार्मिक कार्यक्रम के लिए सरकारी आदेश कैसे जारी किया गया, क्या ऐसे अधिकारियों के खिलाफ एक्शन लिया जाएगा.
मंत्री ने इसका गोलमाल जवाब दिया. उन्होंने पत्रकारों से कहा कि आप उन्हीं से पूछ लीजिए कि उन्होंने आदेश क्यों जारी किया. मंत्री ने कहा कि कुछ लोग जिनके पास कुछ काम नहीं होता, वो अच्छे काम में भी बुरा खोजते रहते हैं.
मंत्री को बयान देने से पहले 10 बार सोचना चाहिए
दूसरी ओर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने प्रेस कांफ्रेंस कर शिवालयों में जल चढ़ाने के आदेश को तुष्टिकरण करार दिया. उन्होंने कहा कि शिव के नाम पर गलत काम करने वालों का रावण जैसा हाल होता है.मंत्री के निजी धार्मिक कार्यक्रम के लिए सरकारी आदेश जारी किए जाने की भी उन्होंने कड़ी आलोचना की. करन माहरा ने कहा कि ऐसे आदेश जारी करने से पहले मंत्री को दस बार सोचना चाहिए.
बहरहाल, मंत्री के विवादास्पद बयानों से बीजेपी संगठन और सराकर भी असहज थे. मामला और तूल न पकड़े. संगठन और सरकार दोनों जगह से मंत्री को कड़े निर्देश जारी किए गए. जिस पर मंत्री को आज मीडिया के सामने आकर अपने दोनों बयानों पर सफाई देनी पड़ी.