उत्तराखंड

बीजेपी प्रत्याशी उत्तराखंड चुनाव की दूसरी लिस्ट की उम्मीद में, 11 के जाल में फंसी पार्टी

Renuka Sahu
25 Jan 2022 4:13 AM GMT
बीजेपी प्रत्याशी उत्तराखंड चुनाव की दूसरी लिस्ट की उम्मीद में, 11 के जाल में फंसी पार्टी
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फाइल फोटो 

उत्तराखंड विधानसभा चुनाव के लिए अभी तक भारतीय जनता पार्टी ने 11 सीटों पर प्रत्याशियों का ऐलान नहीं किया है.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। उत्तराखंड विधानसभा चुनाव (Uttarakhand Election) के लिए अभी तक भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने 11 सीटों पर प्रत्याशियों का ऐलान नहीं किया है. वहीं राज्य नेतृत्व द्वारा कुछ नए नाम केंद्रीय नेतृत्व को भेजे जा रहे हैं और इन नामों पर मंथन चल रहा है. लेकिन अभी तक फैसला नहीं हो सका है. वहीं कांग्रेस (Congress) ने कांग्रेस ने 11 सीटों पर अपने प्रत्याशियों का ऐलान कर बीजेपी पर दबाव बना दिया है.

बताया जा रहा है कि चुनाव प्रभारी प्रहलाद जोशी ने सोमवार को देहरादून स्थित प्रदेश भाजपा मुख्यालय में प्रदेश नेताओं के साथ बैठक की, जिसमें डोईवाला, कोटद्वार, टिहरी सहित 11 सीटों के प्रत्याशियों पर विचार किया गया. लेकिन इस पर अंतिम फैसला नहीं हो सका. असल में पार्टी डोईवाला और कोटद्वार जैसी सीटों पर पैनल के बाहर से कुछ नए उम्मीदवारों पर भी विचार कर रही है. क्योंकि डोईवाला से पूर्व सीएम त्रिवेन्द्र सिंह ने चुनाव लड़ने से मना कर दिया है जबकि कोटद्वार सीट से हरक सिंह रावत कांग्रेस में जा चुके हैं.
दिल्ली में होगी बैठक
बताया जा रहा है कि राज्य स्तर पर चर्चा के बाद इन नामों को दिल्ली भेजा जा रहा हैऔर जहां एक बार फिर इन नामों पर चर्चा होगी और एक-दो दिन में प्रत्याशियों की घोषणा कर दी जाएगी. गौरतलब है कि राज्य में नामांकन की अंतिम तारीख में महज तीन दिन बचे हुए हैं. कहा जा रहा है कि दिल्ली में होने वाली बैठक में इसको लेकर फैसला किया जाएगा.
टिकट ना मिलने के बाद हुए बागियों पर चर्चा
दरअसल बीजेपी की पहली सूची जारी होने के बाद कई नेता बागी हो गए हैं. लिहाजा माना जा रहा है कि इसका असर चुनावों में दिख सकता है. वहीं पार्टी बागी नेताओं को मनाने की कोशिश कर रही है. क्योंकि पार्टी का मानना है कि असंतोष के कारण उसे नुकसान का सामना करना पड़ सकता है.
क्या बीजेपी रणनीति तहत ऐसा कर रही है?
राज्य में चर्चा है कि बीजेपी जानबूझकर 11 सीटों पर प्रत्याशियों के नामों का ऐलान नहीं कर रही है. ताकि प्रत्याशियों को लेकर पैदा हो रहे भ्रम रहे और ज्यादा नेता बागी न हो सके. प्रदेश चुनाव प्रभारी ने साफ किया है कि पार्टी एक खास रणनीति के तहत ऐसा कर रही है.
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