उत्तराखंड
उत्तराखंड में CAG का बड़ा खुलासा, बिना मान्यता के चलते रहे प्रदेश के 35 स्कूल
Deepa Sahu
6 March 2022 11:54 AM GMT
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उत्तराखंड में सरकारी मशीनरी के हाल बुरे हैं। ताजा मामला शिक्षा विभाग से जुड़ा है।
देहरादून: उत्तराखंड में सरकारी मशीनरी के हाल बुरे हैं। ताजा मामला शिक्षा विभाग से जुड़ा है। प्रदेश में कई स्कूल बिना मान्यता के चलते रहे, लेकिन अफसरों ने कार्रवाई करने की जहमत नहीं उठाई। स्कूलों को अनुदान और मान्यता देने में अफसरों की लापरवाही के कई केस मिले हैं। इसका खुलासा कैग रिपोर्ट में हुआ है।
शिक्षा विभाग में महालेखाकार (लेखा परीक्षा)-कैग ने आर्थिक अनियमितता के मामले तो पकड़े ही हैं, जांच के दौरान स्कूलों को अनुदान, मान्यता देने में अफसरों की लापरवाही के भी कई केस पाए गए। वर्ष 2011 से अब तक की विभिन्न आडिट आपत्तियों पर अफसरों के उदासीन रुख पर कैग ने नाराजगी जताई। जिसके बाद बेसिक-माध्यमिक शिक्षा विभाग के साथ ही समग्र शिक्षा अभियान के भी कई पुराने मामलों से परते हटने लगी हैं। कैग रिपोर्ट में अनियमितता के कई मामले सामने आए हैं। उदाहरण के लिए पौड़ी, नैनीताल और चमोली में सात स्कूलों को मानकों की अनदेखी करते हुए मान्यता दे दी गई।यही नहीं हवालबाग, ऊखीमठ, बागेश्वर, रुद्रप्रयाग, पौड़ी, चमोली में अधिकारियों की लापरवाही के कारण 35 स्कूल एक से पांच साल तक बिना मान्यता के संचालित होते रहे, पर विभागीय अधिकारी सोए रहे। देहरादून, ऊधमसिंहनगर, पौड़ी, चमोली, टिहरी, हरिद्वार, रुद्रप्रयाग और बागेश्वर में बुनियादी सुविधाओं के मानक पूरे न करने वाले अशासकीय स्कूलों को भी अनुदान दिया गया।
माध्यमिक शिक्षा निदेशालय ने जियोलॉजिकल सर्वे कराए बिना और निर्माण कार्य का एमओयू कराए बिना ही एक कार्यदायी संस्था को 99.41 लाख रुपये जारी कर दिए। शिक्षा विभाग में ऑडिट आपत्तियों की भरमार के बावजूद कार्रवाई की रिपोर्ट और स्पष्टीकरण न आने पर 24 दिसंबर 2021 को प्रधान महालेखाकार (लेखा परीक्षा) प्रवीन यादव ने तत्कालीन शिक्षा सचिव को नाराजगी भरा पत्र भेजा था। जिसके बाद शिक्षा विभाग ने मामले में कार्यवाही शुरू कर दी है। समग्र शिक्षा अभियान के एसपीडी बंशीधर तिवारी ने भी सभी जिला परियोजना अधिकारियों को कैग द्वारा उठाए गए 190 से ज्यादा मामलों की लिस्ट भेजी है। परियोजना अधिकारियों से सभी मामलों में तत्काल वस्तुस्थिति की रिपोर्ट देने को कहा गया है।
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