भीमताल न्यूज़: भीमताल दिनों-दिन पर्यटन नगरी में अपनी अहम भूमिका निभा रहा है,साथ ही भीमताल शिक्षण संस्थानों के हब के रूप में भी अपनी विशेष पहचान बना रहा है। वही भीमताल में पैरागिलाइडिंग हब, वॉटर स्पोर्ट्स हब, अडवेंचर हब और अन्य कई पर्यटन स्थलों एवं धार्मिक स्थलों को अपने साथ जोड़ा हुआ है। हर वर्ष लाखों की संख्या में पर्यटक देश विदेश से भीमताल पहुंचते है, और यहां के प्राकृतिक सौंदर्य का लुफ्त उठाते हैं। लेकिन यहां पर रोडवेज बस अड्डा नहीं होने की जलती सैलानियों सहित स्थानीय लोगों को छात्रों को भी काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। जबकि उत्तराखंड राज्य बनने से पूर्व 'उत्तर प्रदेश सरकार' ने भीमताल डाठ पर कुमाऊं द्वार नगर भीमताल वासियों के लिए रोडवेज का टिकट काउंटर बनाया था और लोगों को स्टैंड की सुविधा दी थी जो राज्य बनने के समय से हटा दी गयी। तब से अब तक कई बार लोगो ने शासन-प्रशासन से भीमताल में रोडवेज बस स्टैंड खुलवाने की मांग की जा चुकी है।
भीमताल नगर परिसीमन के उपरांत लगभग अपने 'भौगोलिक क्षेत्र' में 14.57 वर्ग किमी. की बढ़ोत्तरी कर चुका है, साथ ही भीमताल नगर के एक छोर सातताल से दूसरी छोर नौकुचियाताल तक फैल चुका है। नगर की जनसंख्या 18000 से भी उपर पहुँच चुकी है किन्तु नगर वासियों को इतने बड़े भू-भाग में एक छोटा सा रोडवेज बस अड्डा अब तक नसीब नहीं हुआ। जिसके चलते यात्री-यात्रा के लिए घंटो 'धूप व बरसात' में रोड किनारे खड़े होकर बसों का इंतजार करते हैं। भीमताल नगर के सामाजिक कार्यकर्ता पूरन चंद्र बृजवासी ने बताया कि उनके द्वारा पूर्व में निम्न स्तर से लेकर उच्च स्तर तक शासन प्रशासन दोनों के प्रतिनिधियों से बारी-बारी से भीमताल में रोड वेज बस अड्डा खुलवाने की माँग रखी गयी लेकिन जमीन का चयन न होने का हवाला देकर भीमताल की मुख्य मांग को अब तक अनदेखा किया गया है, जिसका परिणाम पूरे नगर को प्रत्यक्ष भुगतना पड़ रहा है।कहा कि एक पत्र के जवाब में परिवहन विभाग खुद कह चुका है कि भीमताल में रोड वेज बस स्टैंड की मांग नीतिगत विषय है, लेकिन जिला प्रशासन जमीन उपलब्ध नहीं होने की बात करता है।