बंदरों से बचाव को कहीं कंटीले तार तो कहीं ग्रिल लगाई
नैनीताल न्यूज़: बंदरों के आतंक से पूरा नैनीताल परेशान है. लगातार बढ़ रही बंदरों की आबादी को काबू करने के लिए कोई नीति नहीं बन पा रही है. इस कारण शहर के लोगों की दैनिक दिनचर्या तो प्रभावित हो ही रही है. उन पर आर्थिक बोझ भी बढ़ रहा है. बंदरों से अपने घर, बच्चों, पानी की टंकियों और सामान को बचाने के लिए नैनीताल में तरह-तरह के जुगाड़ किए जा रहे हैं. हद तो यह है कि पानी की टंकियां बंदर न खोलें इसके लिए टंकियों के ऊपर कंटीली आरीनुमा ढक्कन लगाने पड़ रहे हैं.
नैनीताल के हर क्षेत्र में बंदरों का आतंक है. रोज कई लोग बंदरों के हमलों में घायल हो रहे हैं. यही कारण है कि बंदरों को रोकने के लिए नैनीताल के लोगों और होटल कारोबारियों ने कई तरह के जतन कर लिए हैं. ज्यादातर घरों की बालकनियां खुली नहीं हैं. बल्कि इन पर लोहे की ग्रिल लगी हैं. क्योंकि बंदर बालकनियों में आकर लोगों पर हमला करने के साथ ही यहां रखे कपड़े और सामान तक को उठा ले जा रहे हैं. तल्लीताल निवासी सुरेंद्र बिष्ट के अनुसार लावारिश कुत्तों के साथ बंदर सबसे बड़ी समस्या बन चुके हैं. बच्चों पर हमले करने के साथ ही यह आर्थिक क्षति भी पहुंचा रहे हैं. इसलिए इनसे बचने को कई तरह के जतन करने पड़ रहे हैं.
गुलेल व एयरगन का इस्तेमाल बंदरों को भगाने के लिए स्थानीय लोग गुलेल और एयरगन का इस्तेमाल कर रहे हैं. गुलेल के साथ पत्थर या फिर कांच की गोलियां बंदरों पर दागी जा रही हैं. इससे बंदर चोट खाकर भाग तो जाते हैं.
शहर और आसपास इस तरह के उपाय कर रहे लोग
● पानी की टंकियों के ढक्कन पर आरियां लगाकर कर रहे बचाव
● नुकीली बाड़ लगाकर बंदरों को दूर रखने का करते हैं प्रयास
● घर व होटल की बालकनियों में सीसे या ग्रिल लगाकर बचाव
● नगर के ज्यादातर होटलों ने तो ब्लेडवाली बाढ़ लगाई
नगर के कई स्थानों पर बंदर पकड़ने का अभियान भी चला रहे हैं. अब तक दर्जनभर से अधिक बंदरों को पकड़कर रानी बाग रेस्क्यू सेंटर में रखा गया है.
-प्रमोद तिवारी, रेंजर