![जमीन की खरीद-फरोख्त पर रोक लगी जमीन की खरीद-फरोख्त पर रोक लगी](https://jantaserishta.com/h-upload/2023/03/16/2657588-1-100.webp)
ऋषिकेश न्यूज़: राज्य सरकार ने रायपुर प्रस्तावित विधानसभा और सचिवालय भवन के आसपास जमीनों की खरीद-फरोख्त पर छह माह के लिए रोक लगा दी है. सूत्रों ने बताया कि आवास विभाग के इस प्रस्ताव के धामी कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है. आवास विभाग ने थानो चौक तक जमीनों की बिक्री पर छह माह तक के लिए रोक का प्रस्ताव तैयार किया था, जिसे कैबिनेट ने सीमित करते हुए थानो रोड स्थित कालीमठ (भोपालपानी)तक सीमित किया है. इस दायरे में अन्य सरकारी कार्यालय भी प्रस्तावित हैं.
दरअसल, दून में मौजूदा विधानसभा भवन में पहले मुख्य विकास अधिकारी कार्यालय था. सरकार ने इस भवन का विस्तार किया करते हुए इसे विधानसभा का स्वरूप दिया. जमीन की उपलब्धता न होने से भविष्य में इसके विस्तार की कोई उम्मीद नहीं है. वहीं, शहर के बीचों-बीच में होने से सत्र के दौरान जाम की वजह से लोगों को भी मुसीबतों का सामना करना पड़ता है. इसके मद्देनजर वर्ष 2007 में खंडूड़ी सरकार में विधानसभा, सचिवालय भवन के साथ ही अफसरों के आवास के लिए रायपुर में रिजर्व फारेस्ट की जमीन चिन्हित की थी, लेकिन यह आगे नहीं बढ़ पाई थी. वर्ष 2012 में विजय बहुगुणा सरकार ने पहल करते हुए वन एवं पर्यावरण मंत्रालय को इसका प्रस्ताव भेजा था. मंत्रालय की एनओसी मिलने के बाद 59.93 हेक्टेयर जमीन राज्य संपत्ति विभाग को हस्तांतरित भी हो चुकी है. इस एवज में विभाग 7.52 करोड़ रुपये वन विभाग को भी दे चुका है.
आवासीय परिसर को नहीं मिली है मंजूरी
वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने विधानभवन, सचिवालय भवन निर्माण को तो मंजूरी दी, लेकिन आवासीय परिसर निर्माण को एनओसी नहीं दी. मंत्रालय ने साफ किया कि रिजर्व फॉरेस्ट भूमि पर आवासीय गतिविधियों को मंजूरी नहीं दी जा सकती. ऐसे में माना जा रहा है कि सरकार आवासीय भवन बनाने के लिए आसपास जमीन अधिग्रहित कर सकती है. इस लिहाज से सरकार ने प्रस्तावित विधानसभा भवन के आसपास जमीनों की खरीद-फरोख्त पर फौरी रोक लगाई है.
एलीफेंट कोरिडोर होने से फंसा है पेच
प्रस्तावित विधानसभा के समीप एलीफेंट कोरिडर भी है. जहां अक्सर हाथी सौंग नदी में पानी पीने आते हैं. वाइल्ड लाइफ बोर्ड ने राज्य सरकार को इसके लिए एक्शन प्लान बनाने के निर्देश दिए थे, ताकि मानव-वन्यजीव संघर्ष की घटनाओं पर रोक लगाई जा सके. राज्य संपत्ति विभाग को इसके लिए कैंप फंड में 15.37 करोड़ रुपये जमा कराने हैं. हालांकि, अभी इसकी एनओसी मिलनी भी बाकी है._