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हरिद्वार: हाल ही में उत्तराखंड में ऐसा भीषण हादसा हुआ कि 32 लोग मौत के मुंह में समा गए थे। पौड़ी गढ़वाल बस हादसे ममें 32 लोगों की मौत हो गई थी। उन परिवारों पर कैसी बीत रही होगी, जिन्होंने अपने लोगों को खोया है? दर्द, आंसुओं का सैलाब अभी थमा नहीं कि प्रशासन की घोर लापरवाही ने मृतकों को परिजनों को फिर से आंसू बहाने को मजबूर कर दिया।
हरिद्वार जिला प्रशासन ने ऐसा भद्दा मजाक किया कि मृतकों के परिजन हैरान, परेशान रह हए, स्तब्ध रह गए। पौड़ी बस हादसे में मारे गए लोगों के परिवारों को सीएम पुष्कर सिंह धामी ने आर्थिक मदद का ऐलान किया था। आर्थिक मदद के लिए चेक भी दिये गए। सीएम धामी इस हादसे के बाद दिन रात एक कर काम करते रहे लेकिन अधिकारियों ने लापरवाही की हद पार कर दी। एक न्यूज रिपोर्ट के मुताबिक चेक पर मृतक आश्रितों के बजाय मृतकों के नाम लिखे गए। अंदाजा लगाइए..जिस हादसे में 32 लोग मौत के मुंह में समा जाते हैं, जिस हादसे के तुरंत बाद मृतकों कजे परिजनों को राहत राशि दे दी जानी चाहिए थी। वो राहत राशि न तो अब तक मिली और जब मिली तो ऐसी लापरवाही के साथ। आगे पढ़िए
4 अक्टूबर को हरिद्वार से पौड़ी के लिए बारातियों से भरी बस रवाना हुई थी। बस खाई में गिरी और इस हादसे में 32 लोगों की मौत हुई थी। हादसे में 12 लोग गंभीर रूप से घायल हो गए थे। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मृतकों के परिजनों को दो-दो लाख रुपए की सहायता राशि देने का आदेश जारी किया था। आदेश आने के 2 हफ्ते बीत गए लेकिन काफी परिवारों को राहत राशि नहीं मिली। जिनको मिली उनके साथ भी भद्दा मजाक किया गया। राहत राशि के चेक पर परिजन के बजाए मृतक का नाम था। जैसे ही मामले ने तूल पकड़ा, वैसे ही अधिकारियों ने इस पर पानी डालना शुरू कर दिया। कर्मचारियों को पीड़ितों के घर भेज कर सारे चेक वापस मंगवाए गए। लेकिन तब तक जिला प्रशासन की खूब किरकिरी हो गई थी। हादसे के 25 दिन बाद भी मृतकों के आश्रितों को राशि को नहीं मिली और जिन्हें चेक दिया गया है, उसमें नाम को लेकर लापरवाही बरती गई। आगे क्या कार्रवाई होगी, ये तो आने वाला वक्त ही तय करेगा।
Admin4
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