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उत्तराखंड मूल रूप से पहाड़ी राज्य है। यहां अस्पताल तो हैं लेकिन डॉक्टर नहीं हैं। डॉक्टर हैं तो दवाएं नहीं हैं। यही वजह है कि मरीजों को इलाज पाने के लिए धक्के खाने पड़ते हैं। प्रदेश में डॉक्टरों की भारी कमी है,जो हैं भी वह पहाड़ों में रहना पसंद नहीं करते और अपना ट्रांसफर करवा लेते हैं।वजह साफ है। पहाड़ों का जीवन बहुत कठिन है। ऊपर से सरकार भी डॉक्टरों की पोस्टिंग के दौरान उनकी सुविधाओं का ज्यादा ख्याल नहीं रख पाती।
एक जानकारी के मुताबिक राज्य में ऐसे 109 सरकारी डॉक्टर हैं जो कई सालों से अपने काम पर ही नहीं आए हैं। यानी कि प्रदेश में पिछले कई साल से 109 डॉक्टरों का नाम केवल सरकारी फाइलों में दर्ज है। ऐसा नहीं कि स्वास्थ विभाग को इस बात की इत्तेला नहीं है।स्वास्थ्य विभाग को इसकी जानकारी है। लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई इन डॉक्टरों पर सख्त एक्शन नहीं लिया गया सबसे अधिक 20 डॉक्टर उधमसिंह नगर जिले में गैरहाजिर हैं।
हालात की गंभीरता को देखते हुए अब स्वास्थ विभाग कड़े कदम उठाने जा रहा है। स्वास्थ्य विभाग ने अब इन डॉक्टरों को कारण बताओ नोटिस भेजना शुरू किया है। इस बीच डीजी हेल्थ ने अनुपस्थित डॉक्टरों को लेकर कहा है कि ऐसे डॉक्टर जो लंबे समय से अपने काम पर नहीं आ रहे हैं, उनको नोटिस दिए गए हैं। संतोषजनक जवाब न मिलने पर ऐसे डॉक्टरों पर जल्द कार्रवाई की जाएगी। बड़ी बात ये है कि स्वास्थ्य विभाग के पास अनुपस्थित चल रहे डॉक्टरों की पूरी लिस्ट है लेकिन अभी नोटिस से आगे की कार्रवाई पर स्वास्थ्य विभाग भी नहीं बढ़ पा रहा है।
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