नैनीताल न्यूज़: प्रदेश में करीब 12 हजार आशाओं को पिछले आठ महीने का मानदेय नहीं मिला है. नाराज आशाओं ने एनएचएम निदेशक और देहरादून के सीएमओ को ज्ञापन सौंप नवंबर 2022 से जून 2023 तक का मानदेय मांगा है. जल्द ऐसा न होने पर आंदोलन की चेतावनी दी. केंद्र-राज्य की योजनाओं में काम का हर आशा का करीब 65 हजार रुपये बकाया है.
भारतीय मजदूर संघ से संबद्ध आशा स्वास्थ्य कार्यकत्री संगठन की प्रदेश महामंत्री ललितेश विश्कर्मा, गीता पांडेय और गंगा गुप्ता ने निदेशक डॉ. सरोज नैथानी एवं सीएमओ डॉ. संजय जैन को ज्ञापन सौंपा. उन्होंने आशाओं को न्यूनतम 18 हजार रुपये मानदेय के साथ राज्य कर्मचारी घोषित करने की मांग की. उन्होंने कहा कि आशाओं को ईपीएफ और ईएसआई के दायरे में लाया जाए और पेंशन का लाभ मिले. आशाओं को हर माह डीबीटी से भुगतान किया जाए. उन्होंने बताया कि 2016 में आशाओं के जरिये एमएसबीवाई कार्ड बनवाए गए थे, लेकिन इसका भुगतान नहीं हुआ. उन्होंने कहा कि सड़क दुर्घटना पर पांच और मौत पर दस लाख का मुआवजा मिलना चाहिए. उन्होंने चेताया कि एक माह में इन मांगों का निस्तारण न हुआ तो आंदोलन होगा. इधर, सीएमओ डॉ. संजय जैन ने बताया, एम्स में डिलीवरी करवाने का इंसेंटिव देने के लिए स्टेट से दिशानिर्देश मांगे हैं. बकाया भुगतान के लिए बजट की डिमांड भेजी गई है.
एम्स में डिलीवरी का इंसेंटिव नहीं मिलता
आशाओं ने बताया कि ऋषिकेश, हरिद्वार, रायवाला, डोईवाला समेत कई स्थानों से एम्स में आशाओं की ओर से महिलाओं की डिलीवरी कराई जाती है. एम्स से शहरी क्षेत्र में 400, ग्रामीण क्षेत्र में 600 रुपये के वाउचर पर हस्ताक्षर किए जाते हैं. पर, ब्लॉक को-ऑर्डिनेटर कोई अधिकार न होने की बात कहकर मना कर देते हैं.