उत्तराखंड

विदाई से पहले डॉ. देवल के दामन पर एक और दाग

Admin Delhi 1
6 Aug 2023 7:30 AM GMT
विदाई से पहले डॉ. देवल के दामन पर एक और दाग
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हल्द्वानी: सुशीला तिवारी राजकीय अस्पताल से न्यूरो सर्जन डॉ. अमित देवल का तबादला नैनीताल हो चुका है। डॉ. देवल की अभी विदाई भी नहीं हुई थी कि उनके दामन पर भ्रष्टाचार का एक और दाग लग गया है। आरोप है कि डॉक्टर ने आयुष्मान कार्ड लगाने के बावजूद तीमारदार से इम्प्लांट अस्पताल के बाहर (मेडिकल स्टोर) से लाने के लिए कहा।

चंपावत जिले के रीठा साहिब निवासी रंजीत सिंह बोरा ने 'अमृत विचार' से हुई बातचीत में बताया कि उनकी पत्नी की रीढ़ की हड्डी में फ्रैक्चर हो गया था। वह बीती 21 जुलाई को पत्नी को सुशीला तिवारी अस्पताल में दिखाने लाये थे। यहां उन्होंने ओपीडी में न्यूरो सर्जन डॉ. अमित देवल को दिखाया। जिस पर उन्होंने ऑपरेशन की बात कही।

बोरा ने बताया कि डॉ. देवल ने ऑपरेशन के लिए आठ स्क्रू की जरूरत बताई। इसमें चार स्क्रू अस्पताल से मिलने और चार बाजार से लाने को कहा। साथ ही इसका 42 हजार रुपये का खर्च भी बता दिया। बोरा ने डॉ. देवल को आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने का हवाला दिया, लेकिन फिर भी उनका दिल नहीं पसीजा। करीब 15 दिन बीतने के बाद भी उनकी पत्नी का ऑपरेशन नहीं हो सका है। बोरा ने अस्पताल प्रबंधन से किसी प्रकार पत्नी का इलाज कराने की गुहार लगाई है।

ऑपरेशन रीढ़ की हड्डी का, सामान मंगाया सिर का

पीड़ित रंजीत बोरा की पत्नी बीती 21 जुलाई को एसटीएच में भर्ती हुई थी। सूत्रों से पता चला कि जांच के बाद इम्प्लांट के लिए फार्मेसी विभाग को डिमांड भेजी गई। जिसमें हैरान करने वाली बात सामने आई है। बोरा की पत्नी की रीढ़ की हड्डी का ऑपरेशन होना था लेकिन फार्मेसी विभाग को सिर के ऑपरेशन से संबंधित इम्प्लांट की डिमांड भेज दी गई। 28 जुलाई को वार्ड में इम्प्लांट उपलब्ध हो गये। शनिवार को मामले की जांच पड़ताल के बाद खबर फैली तो वार्ड से इम्प्लांट फार्मेसी में वापस भेजने की बात कही गई।

आयुष्मान से मिलती है पूरे स्क्रू की सुविधा

एसटीएच में जिन मरीजों के रीढ़ की हड्डी या अन्य किसी प्रकार के ऑपरेशन स्क्रू की जरूरत पड़ती है। आयुष्मान कार्ड से सभी उपलब्ध होते हैं, फिर चाहे उनकी संख्या 4 हो या 8 । बताया जाता है कि पूर्व में यहां हुई निविदा में सिर्फ चार स्क्रू ही दिए जाने की शर्त थी हालांकि चिकित्सकों की शिकायत के बाद इसे बढ़ा दिया गया है।

चंपावत में भी लगा था कमीशन का आरोप

दवा और इम्प्लांट के खेल में कमीशनबाजी का आरोप न्यूरो सर्जन डॉ. अमित देवल पर पहला नहीं है। वर्ष 2019 में चंपावत के जिला अस्पताल में तैनाती के दौरान भी उन पर पांच हजार रुपये निजी अस्पताल से मिलीभगत कर हड़पने का आरोप लगा था। वहीं एक अन्य मरीज के तीमारदार ने आयुष्मान कार्ड होने के बावजूद ऑपरेशन के नाम पर 12 हजार रुपये वसूलने का भी आरोप लगाया था। मामले की शिकायत सीएम पोर्टल तक में हुई थी। हालांकि कार्रवाई के दौरान डॉ. देवल हायर स्टडी लीव पर चले गये थे।

मुसीबत आई तो हमदर्द बन गये...

एसटीएच न्यूरो सर्जन प्रकरण में आरोपी डॉ. अमित देवल पर कार्रवाई का मामला सोशल मीडिया पर छाया है। इस प्रकरण में पीड़ित मोहित बिष्ट ने शनिवार को एक नया वीडियो अपलोड करते हुए कहा है कि मैंने अपने पिता को खोया है। अब अपने ऊपर मुसीबत आई तो न्यूरो सर्जन मरीजों के हमदर्द बन रहे हैं। मोहित ने आरोप लगाया कि पिता के इलाज के दौरान डॉ. अमित देवल 10 दिन की छुट्टी लेकर चले गये। आयुष्मान कार्ड होने के बावजूद दवा और इम्प्लांट बाहर से मंगाने पर उन्होंने कोई हमदर्दी नहीं दिखाई। आज अपने ऊपर मुसीबत आई तो वह मरीजों के हमदर्द बन गये हैं। अगर ये हमदर्दी मेरे पिता के इलाज के दौरान भी दिखाई होती तो शायद आज वह जिंदा होते।

रसूखदारों को रास नहीं आ रही कार्रवाई

न्यूरो सर्जन डॉ. अमित देवल पर दवा और इम्प्लांट बाहर से मंगाने के प्रकरण में हुई कार्रवाई कुछ मेडिकल क्षेत्र से जुड़े रसूखदारों को रास नहीं आ रही है। उन्हें कमीशनखोरी बंद होने का डर सता रहा है। सूत्रों की मानें तो रसूखदार शासन से लेकर प्रशासन तक दबाव बनाकर न्यूरो सर्जन को एसटीएच में ही रोकने पर तुले हुए हैं। यह भी अंदेशा है कि न्यूरो सर्जन का स्वास्थ्य महानिदेशक की ओर से किए गए तबादले के आदेश पलटा भी जा सकता है।

सोशल मीडिया में उठी बर्खास्तगी की मांग

स्वास्थ्य विभाग की जांच रिपोर्ट के आधार पर स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. विनीता साह की दवा और इम्प्लांट बाहर से मंगाने के आरोपी न्यूरो सर्जन की कार्रवाई का हर तरफ स्वागत हो रहा है। सोशल मीडिया पर सरकार की प्रशंसा हो रही है। वहीं कुछ लोग सरकार से न्यूरो सर्जन को बर्खास्त करने की भी मांग कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर पिछले डेढ़ माह से एसटीएच न्यूरो सर्जन प्रकरण छाया हुआ है।

मुझे मामले की जानकारी नहीं है। डॉ. देवल स्वास्थ्य विभाग के अधीन हैं। डीजी हेल्थ ने उनका ट्रांसफर कर दिया है। न्यूरो सर्जन डॉ. अभिषेक राज के लौटने तक डॉ. देवल को रिलीव नहीं किया जायेगा। फिलहाल डॉ देवल ही अस्पताल में भर्ती मरीजों का इलाज करेंगे।

- डॉ. अरुण जोशी, प्राचार्य, राजकीय मेडिकल कॉलेज, हल्द्वानी

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