उत्तराखंड

अग्निपथ भर्ती योजना विरोध के बीच उत्तराखंड सरकार को पूर्व सैनिकों की सलाह, कहीं ये बातें

Renuka Sahu
21 Jun 2022 6:15 AM GMT
Amidst the protest against the Agneepath recruitment scheme, the advice of ex-servicemen to the Uttarakhand government, somewhere these things
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फाइल फोटो 

सेना में भर्ती की अग्निपथ भर्ती योजना पर सीएम पुष्कर सिंह धामी की पहल पर हुए संवाद में पूर्व सैनिकों ने योजना की तारीफ तो की, साथ में कुछ अहम सुझाव भी दिए।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। सेना में भर्ती की अग्निपथ भर्ती योजना पर सीएम पुष्कर सिंह धामी की पहल पर हुए संवाद में पूर्व सैनिकों ने योजना की तारीफ तो की, साथ में कुछ अहम सुझाव भी दिए। पूर्व सैनिकों ने केवल चार साल की सेवा और मासिक मानदेय में सुधार की उम्मीद की है। उत्तरकाशी से मेजर आरएस जमनाल (सेनि) ने कहा कि अब तक युवा अपना जीवन का अधिकांश भाग देश सेवा में न्यौछावर करने की भावना से जाता था।

चार साल की सेवा में क्या वो जोश-जज्बा रह पाएगा? चार साल के बजाए सेवा अवधि 10 साल रहनी चाहिए। रुद्रप्रयाग के हवलदार राय सिंह बिष्ट (सेनि) ने भी चार साल की अवधि का विरोध किया। 10 साल की सेवा और उसके बाद पेंशन का प्रावधान भी होना चाहिए।
पौड़ी से सूबेदार मेजर राजेंद्र सिंह राणा (सेनि), टिहरी से नायक विजय सिंह नेगी (सेनि), नैनीताल से मेजर गोपाल सिंह (सेनि), ने योजना की तारीफ की।
हरिद्वार से सूबेदार दिनेश चंद्र सकलानी (सेनि) ने कहा कि चार साल की सेवा के बाद लौटने वाले अग्निवीर को पर्वतीय क्षेत्रों में जमीने दी जानी चाहिए। पहाड़ में खेती के अभाव में बंजर होती जमीनों को अग्निवीर आबाद कर सकते हैं। इस सुझाव की सीएम पुष्कर सिंह धामी ने भी तारीफ की।पिथौरागढ़ से मेजर ललित सिंह (सेनि) ने केंद्र और रक्षा मंत्रालय की वेबसाइट पर योजना की विस्तार से जानकारी दर्ज की जाए।
सेना की नियमित भर्ती में पूर्व सैनिकों के आश्रितों के लिए कोटा होता है, अग्निपथ में उसका जिक्र नहीं है। चंपावत से ऑनरेरी कैप्टेन राजेंद्र सिंह देव (सेनि)ने कहा कि मासिक मानदेय 30 से 40 रुपये को बढ़ाकर 50 से 60 हजार रुपये होना चाहिए। चार साल की सेवा के बाद लौटने वाले को साढ़े ग्यारह की जगह 20 लाख रुपये दिए जाने चाहिएं। बागेश्वर के ऑनरेरी कैप्टेन दरबान सिंह (सेनि) ने कहा वर्ष 2020 में हुई भर्ती में क्वालिफाई कर चुके युवाओं को नियमित किया जाए।
उन युवाओं को लगता है कि इस योजना की वजह से उन्हें आउट कर दिया गया है। अल्मोड़ा से सूबेदार आरएस शाही(सेनि) ने भी फिजीकल क्वालीफाई कर चुके युवाओं की जल्द लिखित परीक्षा कराने की मांग भी की। हालांकि कार्यक्रम में कई पूर्व सैनिक अपनी बात रखना चाहते थे, लेकिन समय की कमी की वजह से एसीएस राधा रतूड़ी को बार बार उन्हें रोकना पड़ा। रतूड़ी ने सभी डीएम को कहा कि पूर्व सैनिकों से लिखित सुझाव लेकर शासन को मुहैया कराएं। उन्हें संयुक्त रूप से केंद्र सरकार को भेजा जाएगा।
सुझाव संवाद के
- चार साल की सेवा कम है, इसे कम से कम 10 साल किया जाए
- मासिक मानदेय 50 से 60 हजार और रिटायर होने पर 20 लाख रुपये मिलें
- प्रत्येक अग्निवीर के लिए पेंशन की व्यवस्था हो
- पूर्व में जिन भर्तियों की आधी परीक्षा हो चुकी, उन्हें बहाल किया जाए
- अग्निवीरों को पहाड़ में जमीनें देकर खेती को दोबारा सरसब्ज किया जाए
- चार साल की सेवा के बाद किन विभागों में कैसे कैसे मिलेगी नौकरी स्पष्ट करें
- हर डीएम के पास अग्निवीरों को दी जाने वाली सुविधा-प्राथमिकता का आदेश भेजें
आंतकवाद के खिलाफ लड़ाई में अहम भूमिका होगी अग्निवीरों की: डीजीपी
डीजीपी अशोक कुमार ने कहा कि विश्व के 11 देशों में अग्निपथ समान योजना लागू है। इजराइल सबसे आगे है। दरअसल इजराइल आंतक से सर्वाधिक पीड़ित देश है। हमारा देश भी इसी स्थिति में है। अग्निवीर के रूप में समाज के भीतर सशक्त सैनिक मिलेंगे। देश की आंतरिक सुरक्षा के लिहाज से यह योजना बेहद लाभप्रद है।
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