उत्तराखंड
उत्तराखंड में संकट के बीच रोज बर्बाद हो रही 5 मेगावाट बिजली, ऐसे कैसे होगी मांग पूरी
Renuka Sahu
18 May 2022 5:24 AM GMT
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फाइल फोटो
मार्च महीने से लेकर अभी तक बिजली संकट से जूझ रहे उत्तराखंड राज्य में पांच मेगावाट बिजली हर दिन बर्बाद हो रही है।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। मार्च महीने से लेकर अभी तक बिजली संकट से जूझ रहे उत्तराखंड राज्य में पांच मेगावाट बिजली हर दिन बर्बाद हो रही है। यूजेवीएनएल का पांच मेगावाट का सुरिंगगाड़ पॉवर प्रोजेक्ट जून 2021 से बन कर तैयार है, लेकिन इसकी बिजली का अभी तक इस्तेमाल नहीं हो पा रहा है। मार्च 2023 तक भी यही स्थिति बनी रहेगी। ट्रांसमिशन लाइन न होने के कारण बिजली का इस्तेमाल नहीं हो पा रहा है।
पिथौरागढ़ में वर्ष 2018 में आई आपदा के दौरान सुरिंगगाड़ पॉवर प्रोजेक्ट को नुकसान पहुंचा था। इस प्रोजेक्ट पर दोबारा काम शुरू कर इसे जून 2021 में तैयार कर दिया गया था। इस प्रोजेक्ट से मिलने वाली बिजली को यूपीसीएल के मौजूदा सप्लाई सिस्टम से जोड़ने की मंजूरी उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग ने नहीं दी। इसके कारण इस बिजली का इस्तेमाल नहीं हो पा रहा है।
अब इस प्रोजेक्ट की बिजली का इस्तेमाल तभी हो पाएगा, जब पिटकुल 220 केवी जौलजीवी ट्रांसमिशन लाइन को पिटकुल के ब्रह्म पॉवर सब स्टेशन से जोड़ सकेगा। इस काम के मार्च 2023 तक ही पूरे होने की संभावना जताई जा रही है। तब तक हर दिन इसी तरह पांच मेगावाट बिजली बर्बाद होती रहेगी।
अफसरों के अहं के कारण काम लटका : पिटकुल की 220 केवी जौलजीवी ट्रांसमिशन लाइन का काम अफसरों के आपसी अहं के कारण लटका हुआ है। इस काम के टाइम एक्सटेंशन की फाइल पिटकुल में सात महीने डंप पड़ी रही। सात महीने तक मंजूरी नहीं दी गई। सात महीने बाद अफसरों ने उन्हीं पुरानी शर्तों पर टाइम एक्सटेंशन की मंजूरी दे दी। लेकिन इससे राज्य को बड़ा नुकसान हो गया। यदि यही मंजूरी समय पर मिल जाती, तो अभी तक समय पर इस लाइन का काम पूरा हो जाता।
साढ़े आठ करोड़ का नुकसान : सुरिंगगाड़ पॉवर प्रोजेक्ट से मिलने वाली बिजली का यदि समय पर इस्तेमाल होता, तो अभी तक राज्य को सवा करोड़ का लाभ होता। ऐसा हो नहीं पाया। मार्च 2023 तक भी इस बिजली का इस्तेमाल नहीं हो पाएगा। ऐसे में मार्च 2023 तक राज्य को साढ़े आठ करोड़ का नुकसान हो चुका होगा।
सब स्टेशन तैयार न होने से नहीं मिल रही सस्ती बिजली : घनसाली में 220 केवीए पॉवर सब स्टेशन न बन पाने के कारण ऊर्जा निगम को 35 मेगावाट सस्ती बिजली नहीं मिल पा रही है। विधायक प्रतापनगर विक्रम सिंह नेगी ने मंगलवार को सचिव ऊर्जा आर मिनाक्षी सुंदरम से मुलाकात की। उन्हें बताया कि पिटकुल ने 2013 में इस सब स्टेशन का काम अवार्ड किया था।
जो आज तक पूरा नहीं हुआ है। इसके कारण इस 35 मेगावाट बिजली का पूरा भार 33 केवी की लाइन पर है। जो बार बार ट्रिप होती रहती है। इससे सोलर प्लांट का उत्पादन बाधित हो रहा है। दूसरे प्लांट की भी बिजली नहीं मिल पा रही है।
यूपीसीएल की मौजूदा बिजली लाइन में इस प्रोजेक्ट की बिजली को शामिल करने की मंजूरी नहीं दी जा सकती। इससे लाइन बार-बार ट्रिप होगी। पावर सप्लाई सिस्टम बाधित होगा और दूसरे प्रोजेक्ट से मिलने वाली बिजली भी बाधित होगी।
एमके जैन, सदस्य, विद्युत नियामक आयोग
आयोग से मांग की जा रही है कि वो मौजूदा लाइन में ही बिजली चालू करने की मंजूरी दे दे। मौजूदा लाइन की क्षमता दस मेगावाट तक की बिजली वहन करने की है। यूजेवीएनएल अपने प्लांट में इस तरह के उपकरण लगाने को तैयार है, जिससे दूसरे पावर प्लांट को कोई दिक्कत नहीं होगी।
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