उत्तराखंड

16 साल पहले लगी थी आवंटन पर रोक, जल्द की जा सकेगी खरीद-फरोख्त

Admin4
4 Aug 2022 9:08 AM GMT
16 साल पहले लगी थी आवंटन पर रोक,  जल्द की जा सकेगी खरीद-फरोख्त
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न्यूज़क्रेडिट: अमरउजाला

यूपी से उत्तराखंड अलग होने के बाद यूपी आवास विकास की जमीनों का मामला बड़ा मुद्दा रहा है। 2006 में उत्तराखंड सरकार ने यूपी आवास विकास की संपत्तियों की खरीद-फरोख्त पर रोक लगा दी थी। अब उत्तराखंड आवास एवं नगर विकास प्राधिकरण ने विनियम का ड्राफ्ट तैयार कर लिया है। यह बोर्ड बैठक से पास होने के बाद लागू हो जाएगा।

उत्तर प्रदेश आवास विकास की संपत्तियों का आवंटन, खरीद-फरोख्त, दाखिल खारिज, रजिस्ट्री शुरू होने जा रही है। शहरी विकास मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल के निर्देशों के बाद उत्तराखंड आवास एवं नगर विकास प्राधिकरण ने इसके लिए नियमों का ड्राफ्ट तैयार कर दिया है, जिसे पांच अगस्त को होने वाली बोर्ड बैठक में मंजूरी के लिए रखा जाएगा।

दरअसल, यूपी से उत्तराखंड अलग होने के बाद यूपी आवास विकास की जमीनों का मामला बड़ा मुद्दा रहा है। 2006 में उत्तराखंड सरकार ने यूपी आवास विकास की संपत्तियों की खरीद-फरोख्त पर रोक लगा दी थी। इस पर यूपी सरकार का कहना था कि यह संपत्ति उनकी है, इसलिए इस पर रोक स्वीकार नहीं की जाएगी। मामला हाईकोर्ट में गया था, जिस पर 2015 में हाईकोर्ट ने भी यूपी पर रोक का आदेश जारी किया था।
पिछले वर्ष यूपी और उत्तराखंड के मुख्यमंत्रियों के बीच इस मामले को लेकर समझौता हुआ था, जिसमें तय हुआ था कि यूपी आवास विकास की जमीनों का आवंटन यूपी-उत्तराखंड मिलकर करेंगे। इन संपत्तियों से आने वाली आय से संपत्ति और कानूनी देनदारी का भुगतान करने के बाद बाकी रकम का दोनों राज्यों के बीच आधा-आधा आवंटन हो जाएगा।
दिसंबर में उत्तराखंड सरकार ने इन जमीनों की खरीद-फरोख्त से रोक तो हटा दी थी, लेकिन कोई विनियम न होने की वजह से प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ पाई थी। शहरी विकास मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने निर्देश दिए थे कि इन जमीनों के आवंटन, दाखिल खारिज आदि के लिए विनियम बनाया जाए। अब उत्तराखंड आवास एवं नगर विकास प्राधिकरण ने विनियम का ड्राफ्ट तैयार कर लिया है। यह बोर्ड बैठक से पास होने के बाद लागू हो जाएगा।
दो हजार करोड़ से ऊपर की हैं संपत्तियां
देहरादून, काशीपुर, हल्द्वानी, जसपुर, हरिद्वार में उत्तर प्रदेश आवास विकास की बेशकीमती संपत्तियां हैं। उक्त परिसंपत्तियों की कीमत लगभग दो हजार करोड़ रुपये आंकी गई है। 9 नवंबर 2000 को राज्य निर्माण के बावजूद लगभग 19 वर्षों में उक्त परिसंपत्तियों के संबंध में दोनों राज्यों के बीच समझौता नहीं हो पाया था। पिछले दिनों यूपी-उत्तराखंड के मुख्यमंत्रियों के बीच बातचीत में समझौता हो गया था।
हर जिले के प्राधिकरण के सचिव को जिम्मेदारी
यूपी आवास विकास की जमीनों के मामले में सरकार ने हर जिले के जिला विकास प्राधिकरण के सचिव को पदेन अपर आवास आयुक्त बनाया है। उनके साथ प्राधिकरण की पूरी टीम मिलकर इन मामलों का निस्तारण करेगी।
विनियम की इसलिए जरूरत
दरअसल, उत्तराखंड की स्थापना के बाद इन जमीनों को लेकर हमेशा विवाद रहा। यूपी सरकार ने करीब छह साल पहले अपने विनियम बदल दिए थे। इससे पूर्व के नियम यहां लागू थे। उत्तराखंड का यह विनियम इसलिए बनाया जा रहा है ताकि इन जमीनों के आवंटन की पूरी प्रक्रिया तैयार की जा सके। आवंटन के नियम, दाखिल खारिज के मानक इसमें शामिल होंगे।
समझौते के बावजूद यूपी आवास विकास की जमीनों का आवंटन, दाखिल खारिज शुरू नहीं हो पाया था। शहरी विकास मंत्री के निर्देशों के तहत हमने इन जमीनों के लिए विनियम का ड्राफ्ट तैयार कर लिया है। बोर्ड बैठक से पास होने के बाद इन नियमों के तहत ही जमीनों का आवंटन शुरू कर दिया जाएगा।
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