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उत्तराखण्ड के पहाड़ी ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोग पहाड़ जैसा संघर्षपूर्ण जीवन व्यतीत करते हैं। सबसे ज्यादा परेशानी यहां की महिलाओं को उठानी पड़ती है जो अपनी जान जोखिम में डालकर ऊंचे-ऊंचे पेड़ों पर चढ़कर पशुओं के लिए चारा एकत्रित या फिर जंगल में लकड़ी लेने जाया करती है और कई किलोमीटर दूर से लकड़ियां लाती है। महिलाओं के संघर्षभरी जिन्दगी का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि कई बार पेड़ से गिरकर या जंगली जानवरों के हमले में उन्हें अपनी जान भी गंवानी पड़ती है। आज फिर ख़बर राज्य के बीरोंखाल ब्लाक के अंतर्गत चोरखिंडा मल्ला गांव से है। जहां जंगल में लकड़ी लेने गई कांति देवी (42) पत्नी जसवंत सिंह पेड़ से नीचे गिर गयी और गंभीर घायल हो गयी जिन्हें डंडी-कंडी के सहारे तीन किमी दूर पैदल चलकर अस्पताल तक पहुंचाना पड़ा हैं।
जानकारी अनुसार, बीते बुधवार को गांव के समीप जंगल में लकड़ी लेने गई कांति देवी (42) पत्नी जसवंत सिंह पेड़ से नीचे गिर गई थी। इस दौरान कांति देवी के बांह पर लकड़ी की खूंट घुस गई। बांह व पैर पर गंभीर चोट आने से कांति देवी खड़ी भी नहीं हो पा रही थी। ऐसे में ग्रामीणों ने कांति देवी को डोली में रखा और बीरोंखाल स्वास्थ्य केंद्र ले जाना पड़ा है। स्वास्थ्य केंद्र में पहुंचने के बाद चिकित्सकों ने कांति देवी को प्राथमिक उपचार दिया और हायर सेंटर ले जाने को कहा। वहीं, क्षेत्र पंचायत सदस्य दिलीप सिंह रावत ने बताया कि हायर सेंटर ले जाने के लिए जब स्वास्थ्य केंद्र से एंबुलेंस मांगी गई तो पता चला पिछले कई माह से एंबुलेंस खराब पड़ी हुई है। यही नहीं, धुमाकोट अस्पताल एंबुलेंस के चालक ने भी मरीज को सतपुली ले जाने से इन्कार कर दिया। ऐसे में परिवार ने गांव के किसी व्यक्ति का वाहन बुक कर कांति देवी को हंस अस्पताल सतपुली पहुंचाया, जहां उन्हें आइसीयू में भर्ती किया गया है।
वहीं बीरोंखाल ब्लाक के अंतर्गत चोरखिंडा मल्ला गांव में सड़क न बन पाने पर लोनिवि के अधिशासी अभियंता विवेका प्रसाद सेमवाल ने बताया कि चोरखिंडा गांव के लिए तीन किमी सड़क का सर्वे किया जा चुका है। वन भूमि की स्वीकृति के बाद सड़क का निर्माण शुरू किया जाएगा।
Gulabi Jagat
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