
नई दिल्ली। केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (सीबीआरआई) ने भूधंसाव से प्रभावित उत्तराखंड के जोशीमठ शहर से विस्थापितों के पुनर्वास के लिए आपदा-रोधी प्रारूप वाला शहर विकसित करने का प्रस्ताव रखा है। सीबीआरआई के निदेशक आर. प्रदीप कुमार ने कहा कि रुड़की स्थित वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) ने भी जोशीमठ के लिए त्रिआयामी कार्य योजना का सुझाव दिया है, जिसमें झुकी हुई इमारतों को गिराने, मौजूदा 4,000 इमारतों की सुरक्षा का आकलन करने और विस्थापित लोगों को वैकल्पिक आश्रय प्रदान करने की परिकल्पना की गई है।
कुमार ने सीबीआरआई के वैज्ञानिक डी.पी. कानूनगो और अजय चौरसिया के साथ सोमवार को जोशीमठ का दौरा किया था। कुमार ने कहा, ''किफायती निर्माण प्रौद्योगिकी का उपयोग करके एक आपदा-रोधी प्रारूप वाला शहर विकसित करने का प्रस्ताव है।''
कुमार ने कहा कि सीबीआरआई घरों की संख्या और स्थलाकृति सर्वेक्षण के संबंध में उत्तराखंड सरकार से मिली जानकारी के आधार पर आवास योजना, डिजाइन और निर्माण संबंधी सलाह उपलब्ध कराएगा। प्रौद्योगिकी के लाभ का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, ''इससे स्थानीय रूप से उपलब्ध निर्माण सामग्री, कौशल, स्थानीय परिस्थितियों के अनुरूप, आपदा प्रतिरोधी और किफायती तरीके का उपयोग करने में सहायता मिलेगी।''
सीबीआरआई के निदेशक ने कहा कि संस्थान बृहस्पतिवार से 4,000 घरों के सुरक्षा मूल्यांकन के लिए एक विस्तृत अध्ययन शुरू करेगा, ताकि इमारतों की संरचना, मौजूदा स्थिति, संकट का आकलन और दरारों के बारे में गहराई से समझा जा सके।
उन्होंने कहा कि चिह्नित घरों में दरारों की निगरानी के लिए विभिन्न स्थानों पर ''क्रैक मीटर'' लगाए जाएंगे और दरार की चौड़ाई माप के आधार पर भवन से जुड़े जोखिम को विभिन्न श्रेणी में वर्गीकृत किया जाएगा। कुमार ने कहा कि यह कवायद एक सप्ताह के भीतर पूरी होने की उम्मीद है।
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