उत्तराखंड

हल्द्वानी में 8 सुअरों की रिपोर्ट पॉजिटिव, किए गए डिस्पोज

Gulabi Jagat
6 Aug 2022 1:54 PM GMT
हल्द्वानी में 8 सुअरों की रिपोर्ट पॉजिटिव, किए गए डिस्पोज
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अफ्रीकन स्वाइन फ्लू
हल्द्वानी: अफ्रीकन स्वाइन फ्लू की दहशत पूरे उत्तराखंड में है. उत्तराखंड में अफ्रीकन स्वाइन फ्लू की दस्तक के बाद कई संदिग्ध सुअरों को मारा जा रहा है. राजपुरा क्षेत्र में भी स्वाइन फ्लू के मामले सामने आने के बाद पशुपालन विभाग की टीम ने बीमार सुअरों के ब्लड रिपोर्ट जांच के लिए एनआईएचएसएडी भोपाल भेजा था. जिसमें 8 सुअरों की रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर पशुपालन विभाग में हड़कंप मच गया.
आनन-फानन में पशुपालन विभाग ने नगर निगम, पशुपालन विभाग और स्वास्थ्य विभाग की टीम द्वारा बीमार सुअरों को मारने की कार्रवाई की गई. डॉक्टरों की टीम ने सुअरों को बेहोश कर वैज्ञानिक तरीके से मारने की कार्रवाई की. जिसके बाद सुअरों के शव को डिस्पोज किया गया.
मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ बीएस जंगपांगी ने बताया कि राजपुरा और जवाहर नगर क्षेत्र से सुअरों की ब्लड रिपोर्ट टेस्ट के लिए भेजा था. जिसमें इनकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई है. इन सुअरों को जिला प्रशासन की अनुमति के बाद मारने की कार्रवाई की गई है.
बता दें कि पूर्वोत्तर राज्यों में आपदा बन चुके अफ्रीकन स्वाइन फ्लू अब उत्तराखंड में भी दस्तक दे चुका है. जिसने पशुपालकों की नींद उड़ा दी है. लगातार हो रही सुअरों की मौत के बाद पशुपालन विभाग ने नैनीताल और उधमसिंह नगर में सैंपलिंग के लिए अपनी टीमें लगाई है. इस बीमारी से इंसानों को कोई खतरा नहीं है, लेकिन यह सुअरों के लिए काफी घातक सिद्ध हो रही है. पशुपालन मंत्री सौरभ बहुगुणा ने विभागीय अधिकारियों को मामले को गंभीरता से लेने के आदेश दिए हैं.
उधमसिंह नगर और नैनीताल जिले में अब तक कई सुअरों के सैंपल पॉजिटिव पाए गए हैं. मामले की गंभीरता को देखते हुए अग्रिम आदेशों तक इन इलाकों में सुअर का मांस प्रतिबंधित कर दिया गया है और बीमारी की रोकथाम के लिए संक्रमित इलाकों में अतिरिक्त निगरानी बढ़ा दी गई है.
क्या है अफ्रीकन स्वाइन फीवर या फ्लू? अफ्रीकन स्वाइन फीवर एक अत्यधिक संक्रामक और खतरनाक पशु रोग है, जो घरेलू और जंगली सुअरों को संक्रमित करता है. इसके संक्रमण से सुअर एक प्रकार के तीव्र रक्तस्रावी बुखार से पीड़ित होते हैं. इस बीमारी को पहली बार 1920 के दशक में अफ्रीका में देखा गया था.
इस रोग में मृत्यु दर 100 प्रतिशत के करीब होती है और इस बुखार का अभी तक कोई इलाज नहीं है. इसके संक्रमण को फैलने से रोकने का एकमात्र तरीका जानवरों को मारना है. वहीं, जो लोग इस बीमारी से ग्रसित सुअरों के मांस का सेवन करते हैं उनमें तेज बुखार, अवसाद सहित कई गंभीर समस्याएं शुरू हो जाती हैं.
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