देवभूमि जोशीमठ: जोशीमठ में हो रहा भूधंसाव देशभर में चिंता का विषय बन गया है। हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं। शनिवार को देखते ही देखते एक गोशाला की इमारत एक तरफ झुकी और भरभराकर गिर गई। आसपास के खेतों में भी कई जगह चौड़ी दरारें आ गईं जो काफी गहरी हैं। इस बीच जोशीमठ पर मंडरा रहे संकट के बादल अब दूसरी जगहों पर भी नजर आने लगे हैं। जोशीमठ से करीब पांच किलोमीटर दूर स्थित गांव सेलंग में भी जोशीमठ जैसी स्थिति उत्पन्न होने की आशंका मंडरा गई है। यहां पिछले कुछ महीनों से खेतों और कई घरों में दरारें दिखाई दे रही हैं। बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच-58) पर स्थित सेलंग के निवासियों ने कहा कि वे डरे हुए हैं और जोशीमठ संकट ने उनके डर को और बढ़ा दिया है। हालांकि सेलंग अकेली ऐसी जगह नहीं है जहां ये संकट मंडरा रहा है, उत्तराखंड की और भी जगहों पर खतरा बढ़ने लगा है।
सेलंग: सेलंग के कुछ घरों में दरार दिखाई देने के बाद ग्रामीण अपनी दुर्दशा के लिए एनटीपीसी की तपोवन-विष्णुगढ़ जलविद्युत परियोजना को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं सेलंग निवासी विजेंद्र लाल ने से कहा कि इस परियोजना की सुरंगें गांव के नीचे बनाई गई हैं। उन्होंने दावा किया कि इन सुरंगों में से एक के मुहाने के पास राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित एक होटल जुलाई, 2021 में ढह गया और नजदीक का पेट्रोल पंप भी आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हुआ।
टिहरी: टिहरी क्षेत्र के कुछ घरों में दरारें आई हैं। इससे यहां के लोग काफी डरे हुए हैं। पास का टिहरी डैम भारत का सबसे ऊंचा डैम है और सबसे बड़े हाईड्रोइलेक्ट्रिक पावर प्रोजेक्ट में से एक है। यह एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल भी है।
पिथौरागढ़: यह एक महत्वपूर्ण सैन्य और नागरिक केंद्र है। एक बड़ा प्रशासनिक केंद्र होने के अलावा, इसमें एक हवाई पट्टी है जो बड़े विमानों को समायोजित कर सकती है और सेना के लिए महत्वपूर्ण है।
धरासू: पहाड़ी शहर धरासू में विवादित हिमालयी सीमा पर सैनिकों और सामग्री को ले जाने के लिए लैंडिंग ग्राउंड है जिसे स्थानीय लोग भी इस्तेमाल करते हैं। इस ग्राउंड में अमेरिका निर्मित सी-130 ट्रांसपोर्टर उतरते हैं।
माना: माना में भी जोशीमठ संकट का खतरा मंडरा रहा है। यह चीन के साथ सीमा पर अंतिम गांव माना जाता है। यह एक प्रमुख सैन्य प्रतिष्ठान भी है जहां 2020 की गर्मियों में भारत-चीन सीमा पर गतिरोध के बाद सेना की ताकत को बढ़ाया गया था। माना को एक राष्ट्रीय राजमार्ग से जोड़ा जा रहा है, जो तीर्थ स्थलों के बीच कनेक्टिविटी में सुधार के लिए प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा प्रचारित एक परियोजना का हिस्सा है। पर्यावरण समूहों ने परियोजना के बारे में चिंता जताते हुए कहा है कि क्षेत्र में पेड़ों की कटाई से भूस्खलन का खतरा बढ़ जाएगा।
हर्षिल: हिमालय तीर्थ मार्ग पर हर्षिल एक महत्वपूर्ण शहर हैं। सेना भी संचालन के लिए इसका इस्तेमाल करती है। 2013 की आकस्मिक बाढ़ के दौरान, क्षेत्र तबाह हो गया थ।
गौचर: गौचर जोशीमठ से लगभग 100 किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम में और सीमा से सिर्फ 200 किलोमीटर की दूरी पर एक महत्वपूर्ण सिविल और मिलिट्री बेस है। 2013 में भारतीय वायु सेना के बचाव और राहत प्रयासों का बड़ा हिस्सा इसी शहर से किया गया था।