उत्तराखंड

मुंडियाकी गांव के 40 परिवारों को पिछले 8 सालों से मतदान करने का अधिकार नहीं

Shantanu Roy
1 Dec 2021 10:06 AM GMT
मुंडियाकी गांव के 40 परिवारों को पिछले 8 सालों से मतदान करने का अधिकार नहीं
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हरिद्वार जिले में एक ऐसा भी गांव है, जहां पिछले करीब 8 सालों से प्रशासन की लापरवाही के चलते 40 परिवारों को मतदान करने का अधिकार नहीं मिला है.

जनतासे रिश्ता। हरिद्वार जिले में एक ऐसा भी गांव है, जहां पिछले करीब 8 सालों से प्रशासन की लापरवाही के चलते 40 परिवारों को मतदान करने का अधिकार नहीं मिला है. वहीं, इस गांव के ग्रामीण आलाधिकारी से लेकर मुख्यमंत्री तक कई बार गुहार लगा चुके हैं, लेकिन बीते आठ सालों से 170 ग्रामीण मतदान के अधिकार से वंचित (deprived of the right to vote) हैं.

दरअसल, मामला झबरेड़ा विधानसभा (Jhabreda Assembly) के मंगलौर कोतवाली (Mangalore Kotwali) क्षेत्र के मुंडियाकी गांव का है. जहां बीते कई वर्षों से आस पास के गांव से आकर मुंडियाकी गांव में एक साथ 40 परिवार आकर बस गए. उत्तराखंड सरकार (Uttarakhand Government) ने इन लोगों को राशनकार्ड, आधार कार्ड, बिजली कनेक्शन व जमीन दस्तावेज तो मुहैया करा दिए, लेकिन प्रशासनिक अधिकारियों की लापरवाही के चलते चुनाव में मतदान का अधिकार (right to vote) अभी तक इन लोगों को नहीं दिया गया है.
बता दें कि इन 40 परिवारों में लगभग 170 मतदाता है, लेकिन अभी तक उन्हें मतदान करने से वंचित रखा गया है. विधायक से लेकर मंत्रियों तक गुहार लगा चुके इन ग्रामीणों को अभी तक भी मतदाता पहचान-पत्र (voter id card) भी नहीं बनाया गया है. जबकि, संविधान अनुसार भारत में रहने वाले 18 वर्ष से अधिक आयु के लोगों को मतदान देने का अधिकार देता है.
पिछले करीब 8 सालों से लगातार प्रशासनिक अधिकारियों के दफ्तरों में चक्कर लगाने पर मजबूर इन ग्रामीणों की कोई सुनवाई नहीं हुई है. मतदान का अधिकार ना मिलने से मायूस परिवार परेशानियों का शिकार हो रहे हैं. वहीं, पढ़ाई के लिए बच्चो को स्कॉलरशिप सहित कई योजनाओं से वंचित होना पड़ रहा है. ऐसी स्थिति में विभागीय अधिकारियों की बड़ी लापरवाही उजागर हो रही है.
जब इस बारे में रुड़की ज्वाइंट मजिस्ट्रेट अंशुल सिंह (Roorkee Joint Magistrate Anshul Singh) से बात की तो, उन्होंने बताया कि मामला उनके संज्ञान में है और जल्द ही संबंधित कर्मचारियों को इन लोगों को मतदान लिस्ट बनाए जाने का आदेश दिया गया है. जबकि विधानसभा चुनाव की तैयारी शुरू हो गई है. सरकार करोड़ों रूपये खर्च कर मतदाता पत्र बनवाने के लिए लोगों को जागरूक कर रही है, लेकिन उसके बाद भी इतनी बड़ी लापरवाही सरकारी कार्यशैली पर सवालिया निशान खड़ा करती हैं.


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