उत्तराखंड

उत्‍तराखंड के 18 पीसीएस अफसर जल्‍द बनेंगे आईएएस, इनको मिलेगा प्रमोशन, सरकार ने भेजा प्रस्‍ताव

Renuka Sahu
1 March 2022 4:02 AM GMT
उत्‍तराखंड के 18 पीसीएस अफसर जल्‍द बनेंगे आईएएस, इनको मिलेगा प्रमोशन, सरकार ने भेजा प्रस्‍ताव
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फाइल फोटो 

उत्तराखंड में पीसीएस संवर्ग से 18 अधिकारी जल्द आईएएस बनने जा रहे हैं।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। उत्तराखंड में पीसीएस संवर्ग से 18 अधिकारी जल्द आईएएस बनने जा रहे हैं।राज्य सरकार ने पीसीएस अफसरों के प्रमोशन का प्रस्ताव संघ लोक सेवा आयोग को भेज दिया है। राज्य में सीधी भर्ती के पीसीएस अफसरों की यह पहली डीपीसी होगी।

प्रमोटी और सीधी भर्ती के पीसीएस अफसरों में वरिष्ठता को लेकर विवाद की वजह से यह मामला लगभग 12 साल तक हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में चलता रहा। सुप्रीम कोर्ट के सीधी भर्ती के अफसरों को पहले वरिष्ठता का लाभ देने के आदेश के बाद प्रमोशन की यह राह खुल पाई। वहीं, अब प्रमोटी पीसीएस अफसरों को आईएएस संवर्ग मिलना मुश्किल हो जाएगा। सचिव कार्मिक अरविंद सिंह ह्यांकी ने बताया कि पीसीसी कोटे के रिक्त सभी 18 पदों पर डीपीसी को प्रस्ताव आयोग को भेजा है। अब डीपीसी की तिथि आयोग तय करेगा। इनमें 12 अफसर उत्तराखंड के पहले बैच के और छह यूपी से आए पीसीएस होंगे, जिन्हें यह लाभ मिलने जा रहा है।
इनका होगा प्रमोशन
योगेश तिवारी, योगेंद्र यादव, उमेश नारायण पांडे, देवकृष्ण तिवारी, उदय राज सिंह, कर्मेंद्र सिंह, ललित मोहन रयाल, आनंद श्रीवास्तव, हरीश चंद्र कांडपाल, संजय कुमार, नवनीत पांडे, डॉ.मेहरबान सिंह बिष्ट, गिरधारी सिंह रावत, आलोक कुमार पांडेय, बंशीधर तिवारी, रुचि तिवारी, झरना कामठान व रवनीत चीमा। पीसीएस डॉ.सिंह राठौर व श्रद्धा जोशी के सेवा से इस्तीफा देने से उनके जूनियर झरना कामठान और रवनीत चीमा को प्रमोशन का लाभ मिलेगा।
क्या था विवाद
सरकार ने वर्ष 2010 में सीधी भर्ती और प्रमोटी पीसीएस अफसरों के अंतिम वरिष्ठता सूची जारी की थी। इसमें भी सीधी भर्ती के अफसरों को पहले वरिष्ठता दी गई थी। इसके खिलाफ प्रमोटी पीसीएस अफसरों को हाईकोर्ट में रिट दायर की थी। उनका तर्क था कि राज्य गठन के बाद से वे बतौर प्रभारी की व्यवस्था के तहत उप जिलाधिकारी का काम देख रहे हैं, जबकि सीधी भर्ती के अफसर उनके बाद वर्ष 2005 में आए। हाईकोर्ट ने इस आधार पर प्रमोटी अफसरों के पक्ष में फैसला दिया। वहीं, सीधी भर्ती के पीसीएस इस फैसले के लिए सुप्रीम कोर्ट चले गए थे। इसके बाद ही वरिष्ठता विवाद का पटाक्षेप हो पाया था।
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