उत्तराखंड

किसान महासभा के जिला सम्मेलन में 11 प्रस्ताव पारित

Gulabi Jagat
11 Sep 2022 10:15 AM GMT
किसान महासभा के जिला सम्मेलन में 11 प्रस्ताव पारित
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अखिल भारतीय किसान महासभा जिला नैनीताल का तीसरा जिला सम्मेलन दूध डेरी चौराहा, पुराना खत्ता, बिन्दुखत्ता में आयोजित हुआ। सम्मेलन के मंच का नाम बिन्दुखत्ता में राशनकार्ड आंदोलन में सक्रिय रहे कामरेड दीपक बोस और बिन्दुखत्ता के भूमि संघर्ष से लेकर जीवनपर्यंत संघर्ष करने वाले कामरेड मान सिंह पाल के नाम पर रखा गया।
मंच पर मौजूद किसान संगठन के पदाधिकारी।
मुख्य अतिथि भाकपा (माले) के उत्तराखंड राज्य सचिव राजा बहुगुणा ने कहा कि वनवासी और आदिवासी मोदी सरकार के निशाने पर हैं, इस सरकार ने वनाधिकार को तो सही तरीके से लागू नहीं किया लेकिन वनों में रहने वाले लोगों को बेदखल करने के लिए एक कानून का प्रस्ताव कर दिया है। यह प्रस्ताव और कुछ नहीं अडानी अम्बानी जैसे बड़े कॉरपोरट के हित साधने का दस्तावेज है इसलिये इस सरकार से छुटकारा पाए बिना किसानों पशुपालकों वनवासियों का भला होने वाला नहीं है।
उन्होंने कहा कि देश में अभी इस सरकार के खिलाफ एक सकारात्मक माहौल दिख रहा है। जगह जगह सड़कों पर इस सरकार के खिलाफ जनता का गुस्सा दिख रहा है। किसानों को चाहिए कि किसान विरोधी मोदी सरकार को उखाड़ने में जनता की व्यापक लड़ाई में बड़ी भूमिका निभाएं।
सम्मेलन को संबोधित करते भारतीय किसान महासभा के प्रदेश अध्यक्ष आनंद सिंह नेगी।
राजा बहुगुणा ने कहा कि धामी सरकार ने किसानों के सवालों पर कोई कदम नहीं उठा रही है। आवारा पशुओं की समस्या से लेकर खत्तावासियों की परेशानियों का कोई हल करने की दिशा में इस सरकार ने कुछ भी नहीं किया। लेकिन सरकारी नौकरियों में भाई भतीजावाद और घोटाले में भाजपा की उत्तराखंड सरकार ने सारे रिकार्ड तोड़ दिए। केंद्र सरकार के प्रधानमंत्री मोदी आंखें बंद करके इस महाघोटाले की अनदेखी कर रहे हैं। यह परोक्ष रूप से इस घोटाले को राजनीतिक संरक्षण देने जैसा है। ऐसे में इस राज्य के युवाओं और नागरिकों की जिम्मेदारी है कि राज्य की इस घोटालेबाजों की सरकार और इसकी चहेती नौकरशाही के खिलाफ लामबंद हों।
अखिल भारतीय किसान महासभा के प्रदेश अध्यक्ष आनंद सिंह नेगी ने कहा कि अखिल भारतीय किसान महासभा ने उत्तराखंड सरकार को पांचवीं विधानसभा के प्रथम और द्वितीय सत्र में किसानों को जल जंगल जमीन खेती किसानी पशुपालन से बेदखल करने वाले सभी जनविरोधी कानूनों को रद्द करने का प्रस्ताव लाने की मांग मुख्यमंत्री को ज्ञापन देकर की थी जिसकी प्रतिलिपियां क्षेत्रीय विधायकों को भी विधानसभा में पेश करने के लिए दी गई थी लेकिन इन जनपक्षीय मांगों को नजर अंदाज कर दिया गया।
सम्मेलन में बड़ी संख्या में मौजूद रही मातृशक्ति।
सम्मेलन से उत्तराखंड में छोटी जोत वाले निम्न मध्यम, लघु सीमांत किसानों के साथ ही भूमिहीन व बटाईदार किसानों, वन ग्रामों में रहने वाले किसानों, खत्तावासियों, पशुपालकों को संगठित कर किसानों की समस्याओं, मूलभूत सुविधाओं, नागरिक अधिकारों और शासक वर्ग की किसान – जनविरोधी नीतियों के खिलाफ आवाज उठाने के लिए संकल्प लिया गया।
खासतौर पर किसानों पशुपालकों के हितों की रक्षा के लिये गौरक्षा कानून की समाप्ति के लिए आंदोलनात्मक पहलकदमी, बिन्दुखत्ता को राजस्व गांव बनाए जाने के संघर्ष को तेज करने, खत्तावासियों व गुर्जरों को मूलभूत सुविधाएं और नागरिक अधिकारों को उपलब्ध कराने, बिन्दुखत्ता में बिजली कनेक्शन के लिए दोहरा मापदंड अपनाने के खिलाफ और सभी को बिजली पोल की व्यवस्था के लिए, गौला नदी पर स्थायी तटबंध के लिए, सेंचुरी पेपर मिल के प्रदूषण से जनता को निजात दिलाने के लिए संघर्ष किसान महासभा की मुख्य प्राथमिकता रहेगी।
सम्मेलन के दूसरे सत्र में किसान महासभा की नयी जिला कमेटी का चुनाव किया गया जिसने सर्वसम्मति से जिलाध्यक्ष विमला रौथाण, पांच उपाध्यक्ष बशीर, नैन सिंह कोरंगा, पान सिंह, गुलाम मुस्तफा, मोहम्मद शफी, जिला सचिव कामरेड भुवन जोशी, उपसचिव चंदन राम, कोषाध्यक्ष निर्मला शाही व कार्यकारिणी सदस्य के रूप में आनंद सिंह सिजवाली, ओमप्रकाश, पान सिंह बिष्ट, प्रताप राम, दीवान राम को चुना गया।
कार्यकारिणी सदस्यों व पदाधिकारियों के अतिरिक्त 51 सदस्यीय जिला कमेटी में वरिष्ठ नेता बहादुर सिंह जंगी, गुलाम नबी, गणेश दत्त पाठक, नीमा मेहरा, हयात राम, बचन सिंह, नवीन मेहरा, बिशन दत्त जोशी, यासीन, मोहम्मद शरीफ, सुशीला, इमाम, मोहम्मद यूसुफ, हरीश भंडारी, शमशेर अली, प्रेम सिंह राणा, प्रताप राम, वजीर अली, ललित जोशी, पुष्कर दुबड़िया, हसन, कमल जोशी, इनाम अली, नारायण सिंह, प्रमोद कुमार, इरफान, त्रिलोक राम, आनंद सिंह दानू को चुना गया.
इनके अलावा सम्मेलन में डॉ. कैलाश पांडेय, ललित मटियाली, किशन बघरी, मदन धामी,किशन सिंह जग्गी, आनंद गोपाल बिष्ट, आलमगीर, धीरज कुमार, दीप पाठक, चन्द्रशेखर जोशी, पार्वती जग्गी, गंगा सिंह, सरिता जंगी, नीमा कोरंगा, मनोज जोशी, मनोहर शाह, शिव सिंह, चंदन सिंह, सरस्वती जीना, मनोज शाह, गुलाम रसूल, दीपक सिंह, बीना जग्गी, जानकी, देवकी, राजेन्द्र शाह, भावना, दुर्गा, राजेन्द्र सिंह, नंदी देवी, प्रीति, दीपा, आशीष, धन सिंह, हिमांशु बिष्ट, राहुल बिष्ट, मधु, चंद्रकला, आनंद लोटीया, नीरज, हीरा सिंह, जगत सिंह, जगदीश सिंह आदि बड़ी संख्या में लोग शामिल रहे.
अखिल भारतीय किसान महासभा के वरिष्ठ नेता बहादुर सिंह जंगी ने बताया कि सम्मेलन में कुल 11 प्रस्ताव पारित हुए।
1. किसानों की पुश्तों से चले आ रहे आजीविका का साधन पशुपालन और कृषि को बचाने के लिए गोवंश – संरक्षण अधिनियम को निरस्त किया जाय या गोवंश की सरकारी खरीद की गारंटी की जाय ताकि किसानों की फसल और पशुपालन का लाभ पशुपालकों को मिल सके और पशुपालक के लिए गाय बोझ, किसानों के लिए बर्बादी का सबब, सड़कों पर दुर्घटनाओं का कारण न बनने पाए और वर्तमान में गोवंश की हो रही दुर्दशा से भी गोवंश को बचाया जा सके ।
2. बिन्दुखत्ता को राजस्व गांव बनाकर मालिकाना हक दिलाया जाए।
3. वनगुर्जर व गोठखत्तावासियों के लिए वनाधिकार कानून लागू कर उनके काबिज जमीनों पर मालिकाना हक दिया जाय और मूलभूत सुविधाएं व नागरिक अधिकार दिये जाएं।
4. बिन्दुखत्ता व अन्य खत्तावासियों को विद्युत कनेक्शन और विद्युत पोल सामान्य सरकारी रेट पर उपलब्ध कराये जाय तथा जहां पोल नहीं हैं पोल लगवाये जाएं।
5. गौला नदी पर स्थाई तटबंध बनाये जाएं।
6. सेंचुरी पल्प एंड पेपर मिल से निकलने वाले प्रदूषित जल को अति शीघ्र भूमिगत किया जाय व वायु प्रदूषण पर रोक लगायी जाय ताकि लाखों लोगों के स्वास्थ्य से हो रहे खिलवाड़ को रोका जा सके।
7. उत्तराखंड से बढ़ते पलायन को रोकने के लिए रोजगारपरक खेती करने हेतु नये बन्दोबस्त से गोल खाते खत्म कर अधिकार सम्पन्न यानि नाप जमीन से वन एक्ट, खनन एक्ट, भेषज एक्ट, वन्यजीव संरक्षण कानून निरस्त कर अधिकार सम्पन्न अनिवार्य चकबन्दी कानून बनाया जाए।
8. उत्तराखंड में अलग अलग विभागों व उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय में भर्ती में किये गये घोटालों की जांच सीबीआई से करायी जाय. घोटाले में शामिल सभी अपराधियों को राजनीतिक संरक्षण देना बंद कर उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।
9. उत्तराखंड में शिक्षा – स्वास्थ्य की समुचित व्यवस्था ठीक करने की जवाबदेही सरकार ले और शिक्षा, स्वास्थ्य और सरकारी संस्थानों का निजीकरण बन्द करने, सरकारी संस्थानों में निरस्त किए गए सृजित पदों को फिर से बहाल कर अतिशीघ्र भर्ती प्रक्रिया शुरू कर नियुक्तियां की जाय ।
10. हेलंग में घास काटने वाली महिला और उसकी देवरानी, पुत्र, पुत्री व दो वर्ष की पोती को पुलिस हिरासत में रखने वाली और उनकी घास छीनने में सम्मिलित उत्तराखण्ड पुलिस और सीआईएसएफ के जवानों के खिलाफ कार्रवाई के साथ ही इस घटना को संरक्षण देने वाले डीएम चमोली और अवैध रूप से वन पंचायत की जमीन पर मलवा डलवाकर जमीन कब्जाने वाली एनटीपीसी के खिलाफ भी सख्त कार्रवाई की जाए।
11. अल्मोड़ा जिले के भिकियासैंण तहसील अंतर्गत अन्तरजातीय विवाह को लेकर हुई जगदीश चंद्र की हत्या के दोषियों और युवती द्वारा सुरक्षा की मांग को दरकिनार करने वाले पुलिस अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई की जाए।
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