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वैश्विक फलक पर अर्थव्यवस्था में सुधार की जानकारी रखें युवा: प्रो सिन्हा
गोरखपुर: दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में रक्षा अध्ययन एवं स्त्रातजिक विभाग के आचार्य प्रो हर्ष कुमार सिन्हा ने कहा कि भारत की जनसंख्या में युवाओं का महत्वपूर्ण स्थान है। आंतरिक और वैश्विक फलक पर देश अपनी अर्थव्यवस्था में क्या-क्या सुधार ला रहा है, इसकी समझ युवाओं को अवश्य होनी चाहिए। आज अपने आप को दुनिया में जिम्मदार नागरिक के रूप में दिखाने का समय है।
प्रो सिन्हा महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय के तहत संचालित गुरु गोरक्षनाथ इंस्टिट्यूट आॅफ मेडिकल साइंसेस (आयुर्वेद कॉलेज) में चल रहे बीएएमएस के नवप्रवेशी विद्यार्थियों के 15 दिवसीय दीक्षा पाठ्यचर्या (ट्रांजिशनल करिकुलम) के नौवें दिन (गुरुवार) के चतुर्थ सत्र को बतौर मुख्य वक्ता संबोधित कर रहे थे। उन्होंने 'जी-20 :भारत की मेजबानी और ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट' विषय पर व्याख्यान देते हुए कहा कि जी-20 अंतरराष्ट्रीय आर्थिक सहयोग का प्रमुख मंच है। इस वर्ष 1 दिसम्बर 2022 से 30 नवम्बर 2023 तक भारत जी-20 की अध्यक्षता करेगा। यह पहला ऐसा संगठन है जिसमें विकसित एवं विकासशील देश, दोनों को लिया गया है। इसमे वैश्विक अर्थव्यवस्था को कैसे आगे बढाया जाए आदि मुददो पर विचार किया जायेगा। जी-20 की मेजबानी मिलना पूरे देश के लिए गौरव का क्षण है। इस मंच का उपयोग करते हुए हम सबकी जिम्मेदारी है कि अपने काम एवं विचारों को पूरी दुनिया में पहुचाएं। ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट की चर्चा करते हुए प्रो सिन्हा ने कहा कि यह उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाई देने का सार्थक प्रयास है।
लोक कल्याणार्थ कार्य करती हैं महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद की संस्थाएं : डॉ प्रदीप राव
दीक्षा पाठ्यचर्या के प्रथम सत्र में मुख्य वक्ता के रूप में विश्वविध्यालय के कुलसचिव डॉ प्रदीप कुमार राव ने 'आज के शिक्षा परिप्रेक्ष्य में राष्ट्रीय शिक्षा नीति' विषय पर विद्यार्थियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि जो राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में आयी है, महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद से जुड़ी सस्थाओं में 2005 से ही उसी आधार पर कार्य हो रहा है। महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद किसी आर्थिक उद्देश्य से कार्य नहीं करती है। यह लोक कल्यार्णाथ कार्य करती है। हमारी संस्था ने शिक्षा एवं चिकित्सा को उपासना का हिस्सा माना है। समाज में महायोगी गोरखनाथ विश्वविध्यालय एवं आयुर्वेद कॉलेज को प्रतिमान के रूप में स्थापित करने के लिए तीन क्षेत्रों में कार्य करना है, अवस्थापना सम्बन्धित सुविधाएं, पठन-पाठन की गुणवत्ता एवं परिसर संस्कृति। परिसर संस्कृति के द्वारा हम अपने आपको विशिष्ट बना सकते हैं। राष्ट्रीय शिक्षा नीति एवं हमारे विश्वविध्यालय का लक्ष्य है कि देश के युवाओं को श्रेष्ट एवं योग्य विश्व नागरिक बनाना है।
आयुर्वेद के प्राचीन व आधुनिक परिवेश की दी गई जानकारी
द्वितीय सत्र में डॉ विनम्र शर्मा ने आयुर्वेद एवं आयुर्वेदिक औषधियों के प्राचीन एवं आधुनिक परिवेश को विद्यार्थियों को बताया। उन्होंने अपने उद्धबोधन में वैदिक समय से लेकर संहिता काल व वर्तमान समय में प्रयोग होने वाली औषधियों के क्रमिक विकास, स्वरूप एवं उपयोगिता के की जानकारी दी। साथ ही समयानुसार आयुर्वेदिक औषधियों के रूप व प्रयोग में बदलाव को जरूरी बताया। तृतीय सत्र के अंतर्गत वदतु संस्कृतम् कार्यशाला में सह आचार्य साध्वी नन्दन पाण्डेय ने संस्कृत की सप्तमी विभक्ति का अभ्यास कराया। इस अवसर पर महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय के कुलपति मेजर जनरल डॉ अतुल वाजपेयी, आयुर्वेद कॉलेज के प्राचार्य डॉ मंजूनाथ एमएस, सभी शिक्षक व विद्यार्थी उपस्थित रहे।