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कानपूर: कल्याणपुर और शिवली पुलिस की लापरवाही के चलते गुमशुदा युवक का लावारिस में अंतिम संस्कार करने के मामले में कल्याणपुर एसीपी जांच कर आला अधिकारियों को रिपोर्ट सौंपेंगे. साथ इस मामले में हरकत में आई पुलिस ने वारदात में शामिल चारों आरोपितों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया. साथ इस मामले में एलआईयू भी एक रिपोर्ट पुलिस मुख्यालय को सौंपेगी.
नई बस्ती, मिर्जापुर निवासी अरुण राजपूत की कानपुर देहात के शिवली जुगराजपुर निवासी दीपू ने अपनी पत्नी ऊषा और तीन भाइयों के साथ मिलकर हत्या कर दी थी. कल्याणपुर पुलिस ने इस मामले में पिता की तहरीर पर 10 जुलाई को गुमशुदगी दर्ज की थी. 12 जुलाई को शिवली पुलिस ने अरुण का शव कुएं से निकाल कर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया था. 25 किलोमीटर दूर दर्ज हुए मुकदमे के बावजूद भी शिनाख्त न हो पाने के कारण युवक का लावारिस में अंतिम संस्कार भी कर दिया गया. कल्याणपुर पुलिस और जांच अधिकारी ईतेंद्र पाल की लापरवाही के चलते पीड़ित पिता बेटे की हत्या के 45 दिन बाद उसका क्रिया कर्म कर सके. इस मामले में कल्याणपुर पुलिस ने मुख्य आरोपित दीपू, पिंटू, दीपक और ऊषा को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है.
आरोपी चौकी आए थे लेकिन छोड़ दिया अरुण के पिता प्रताप सिंह ने बताया कि सभी साक्ष्य देने के बाद भी कल्याणपुर पुलिस और जांच अधिकारी ने इस मामले में कोई भी दिलचस्पी नहीं जताई. आरोपी चौकी आए थे लेकिन छोड़ दिया गया था.
पिता की हत्या में बेटे को सात साल की सजा
पिता की गैरइरादन हत्या में बेटे को सात साल की सजा सुनाई गई. बेटे ने झगड़े के दौरान पिता के सिर पर लोहे की राड से प्रहार किया था. बेटे पर 15000 रुपये जुर्माना भी किया गया. अभियुक्त के भाई ने इस मामले में रिपोर्ट दर्ज कराई थी. एडीजे 25 प्रमोद कुमार ने विनय कुमार स्वर्णकार को दोषी करार देते हुए सजा सुनाई. एडीजीसी भास्कर मिश्रा व सुशील कुमार पाण्डेय के मुताबिक विनय अपने पिता व दादी के साथ गुजैनी में रहता था. 27 मई 2014 की रात विनय का झगड़ा पिता रामकुमार से हो गया. विनय ने रॉड मार दी थी. अस्पताल में राजकुमार की मौत हो गई.