उत्तर प्रदेश

पराली से प्रदूषण पर योगी चिंतित,जागरूकता फैलाने के निर्देश

Rani Sahu
15 Nov 2022 12:11 PM GMT
पराली से प्रदूषण पर योगी चिंतित,जागरूकता फैलाने के निर्देश
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लखनऊ, । उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में पराली जलाने से लगातार बढ़ रहे प्रदूषण पर चिंता जताते हुये मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Chief Minister Yogi Adityanath) ने अधिकारियों को पराली जलाने से होने वाले नुकसान के प्रति किसानों को जागरूक करने के दिशा निर्देश दिये हैं। श्री योगी ने कहा कि फसल अवशेषों को काटकर खेत में पानी लगाकर एवं यूरिया छिड़ककर खेत में ही पराली को गलाने का व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाए। संवेदनशील गांवों में जिला स्तरीय अधिकारियों को कैम्प लगाकर पराली जलाने की घटनाओं पर रोकथाम के उपाया किए जाएं। विभिन्न विभागों के कर्मचारियों को ग्रामवार समन्वय स्थापित करने के लिए ड्यूटी लगायी जाएं। कृषि विभाग के अपर मुख्य सचिव देवेश चतुर्वेदी (Additional Chief Secretary Devesh Chaturvedi) ने बताया कि हर जिले में पराली को गौशालाओं में पहुंचाया जा रहा है। सभी जिलों में 'पराली दो, खाद लो' कार्यक्रम को अधिक से अधिक बढ़ावा दिया जा रहा है, जिससे इस बार पराली जलाने की घटनाएं कम हो सकें। इसके अलावा उत्तर प्रदेश में 16 वायोब्रिकेट और वायोकोल प्लान्ट स्थापित किए गए हैं। इन प्लांट्स पर भी पराली पहुंचाई जा रही है। कम्बाइन हार्वेस्टर के साथ कटाई के साथ सुपर एसएमएस या फसल अवशेष प्रबन्धन के अन्य कृषि यन्त्रों को अनिवार्य किया जाए। उन्होने बताया कि प्रदेश में कुछ ऐसे भी जिले हैं, जहां पराली जलाने की घटनाएं शून्य के बराबर है। इनमें वाराणसी, सोनभद्र, सन्त रविदास नगर, महौबा, कासगंज, जालौन, हमीरपुर, गोण्डा, चन्दौली, बाँदा, बदायूँ, आजमगढ़, अमरोहा और आगरा शामिल हैं। इसके अलावा सुझाव दिया गया है कि पूर्वी उत्तर प्रदेश में धान की कटाई और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में गन्ने की कटाई शुरु हो गई है। इन जिलों में विशेष तौर पर ध्यान देने की जरुरत है। हर जिले में पूसा डीकम्पोजर तत्काल किसानों के माध्यम से वितरण कराया जाए, जिससे फसल अवशेषों को खेत में ही संड़ाकर प्रबन्धन किया जा सके।
श्री चर्तुवेदी ने कहा कि उच्चतम न्यायालय और राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने पराली जलाने को दंडनीय अपराध घोषित किया है। किसान ऐसा करने की जगह उन योजनाओं का लाभ उठाएं जिससे पराली को निस्तारित कर उसे उपयोगी बनाया जा सकता है। सरकार ऐसे कृषि यंत्रों पर अनुदान भी दे रही है। कई जगह किसानों ने इन कृषि यंत्रों के जरिए पराली को कमाई का जरिया बनाया है। बाकी किसान भी इनसे सीख ले सकते हैं।

Source : Uni India

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