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आगरा: आगरा मंडल के सांसद, विधायकों के साथ बैठक में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने छत्रपति शिवाजी महाराज का स्मारक बनाने पर सहमति दी। लेकिन, तीन साल से उनके स्मारक के लिए न तो काम हुआ और न ही उनके नाम पर बनाये जा रहे शिवाजी म्यूजियम को ही पैसा जारी किया गया।
तीन साल पहले योगी सरकार ने ताजमहल पूर्वी गेट पर शिल्पग्राम के आगे बनाए जा रहे मुगल म्यूजियम का नाम बदलकर शिवाजी म्यूजियम कर दिया था। लेकिन, इसे पूरा करने के लिए जरूरी 90 करोड़ रुपये जारी नहीं किए। तीन साल से म्यूजियम में एक ईंट भी नहीं लगी। वहीं कोठी मीना बाजार मैदान पर प्रस्तावित शिवाजी महाराज के स्मारक का काम भी सर्वे से आगे नहीं बढ़ा।
सपा सरकार में तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने ताजमहल पूर्वी गेट पर मुगल म्यूजियम का शिलान्यास जनवरी 2016 में किया था। यह काम दिसंबर 2017 में पूरा होना था। इसकी लागत तब 172 करोड़ रुपये थी। 94 करोड़ रुपये इसके निर्माण पर खर्च हो चुके हैं। एसटीपी समेत कई अन्य सुविधाओं को ब्रढ़ाने के कारण इस प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए 90 करोड़ रुपये और चाहिए।
योगी सरकार ने सत्ता में आते ही मुगल म्यूजियम को पैसे का आवंटन बंद कर दिया। सितंबर 2020 में इसका नाम बदलकर शिवाजी म्यूजियम कर दिया। सपा सरकार ने इस म्यूजियम को प्री-कास्ट तकनीक से बनाकर स्टेट आफ द आर्ट का दर्जा दिया था, लेकिन यह काम 7 साल बाद भी अधूरा है। अधूरे निर्माण में अब कई जगह क्रेक भी आने लगे हैं।
सर्वे तक सीमित रहा स्मारक
छह साल पहले 2017 में तत्कालीन राज्यपाल राम नाईक ने आगरा किला से छत्रपति शिवाजी के जुड़ाव को देखते हुए स्मारक की इच्छा जताई थी। तब विधायक योगेंद्र उपाध्याय ने इस प्रस्ताव को योगी सरकार के सामने रखा, जिस पर लेखपालों की टीम बनाकर तत्कालीन डीएम ने नापजोख कराई और कोठी मीना बाजार के स्वामित्व आदि की जांच की गई। तब से अब तक छह साल से यह प्रस्ताव सर्वे से आगे नहीं निकल पाया। विधायक योगेंद्र उपाध्याय कैबिनेट मंत्री भी बन गए, लेकिन शिवाजी स्मारक का प्रस्ताव एक कदम भी नहीं आगे बढ़ पाया।
इतिहास संकलन समिति ने छत्रपति शिवाजी महाराज को आगरा किला की जगह कोठी मीना बाजार में इसी जगह कैद रखने का शोध किया था। उसी शोधपत्र के आधार पर कहा गया कि साल 1666 में बेटे संभाजी की साथ आगरा आए छत्रपति शिवाजी को औरंगजेब ने कैद कर लिया था। आलमगीरनामा और राजस्थानी दस्तावेजों के मुताबिक राम सिंह की जमानत पर शिवाजी को फिदाई हुसैन की हवेली में कैद किया गया। यह स्थान कोठी मीना बाजार है, जहां से वो चकमा देकर निकल गए। इसीलिए इस जगह पर स्मारक बनाने और कोठी के ऊपर 100 फीट की छत्रपति की प्रतिमा लगाने का प्रस्ताव तैयार किया गया।
इसे पूरा तो करें
सरकार ने नाम तो बदल दिया, पर इसे पूरा तो करें। केवल नाम बदलने से तो म्यूजियम पर्यटकों के लिए उपयोगी नहीं हो जाएगा। – राकेश चौहान, अध्यक्ष, होटल एसेासिएशन
सात साल से उलझा
टूरिज्म गिल्ड आफ आगरा के अध्यक्ष राजीव सक्सेना ने कहा कि मुगल म्यूजियम कहें या शिवाजी म्यूजियम, सरकार इसे पूरा तो करे। सात साल में सरकारों के बीच यह उलझकर रह गया। इसका निर्माण तो पूरा कराया जाए।
एस्टीमेट बना रहे
पर्यटन विभाग के संयुक्त निदेशक अविनाश मिश्रा ने कहा कि शिवाजी म्यूजियम का काम पूरा करने के लिए एस्टीमेट तैयार किया जा रहा है। इसे शासन को भेजा जा रहा है, जबकि शिवाजी स्मारक का प्रस्ताव हमारे यहां से तैयार नहीं हुआ है।
{जनता से रिश्ता इस खबर की पुष्टि नहीं करता है ये खबर जनसरोकार के माध्यम से मिली है और ये खबर सोशल मीडिया में वायरलहो रही थी जिसके चलते इस खबर को प्रकाशित की जा रही है। इस पर जनता से रिश्ता खबर की सच्चाई को लेकर कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं करता है।}
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