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मेरठ: नगर निगम में आग से बचने के उपाय रामभरोसे हैं। निगम के अधिकारियों द्वारा अग्निकांड से बचने के लिए कोई पर्याप्त उपाय नहीं किए गए हैं। निगम कार्यालय में सैकड़ों की संख्या में एसी और कूलर लगे हुए हैं और तारों का मकड़जाल फैला हुआ है। जिसमें शॉर्ट सर्किट से आग लग सकती है।
जिसमें अधिकारियों की लापरवाही के चलते किसी भी बडेÞ अग्निकांड की घटना के होने से इंकार नहीं किया जा सकता है। हाल ही में सरधना थाने में हुए अग्निाकांड के मामले ने फिर से लोगों के जहन में बड़े अग्निकांड की याद को ताजा कर दिया है। जिसमें निगम के मुख्य कार्यालय को ही देखा जाये तो आग से बचने के उपाय रामभरोसे हैं।
सरधना थाने में लगी भीषण आग में कई पुलिस कर्मी आग बुझाते समय झुलस गए थे। जिसमें दो पुलिस कर्मी गंभीर रूप से झुलस गए थे। पूर्व में भी जिले में कई घटनाएं भीषण अग्निकांड के रूप में हो चुकी हैं। जिसमें मुख्य रूप से विक्टोरिया पार्क कांड एवं उसी समय मेरठ में विशाल मेगामाट में भयंकर आग लगने की घटनाएं हो चुकी है। इसमें नगर निगम के रिकॉर्ड रूप में भी भयंकर आग लगने की घटना हो चुकी है।
उसके बावजूद नगर निगम के अधिकारी भीषण आग लगने जैसी घटना के दौरान लोगों को कैसे सुरक्षित बचा सकेेंगे और खुद भी निगम के अपने कार्यालय से कैसे सुरक्षित बच सकेंगे, यह सब रामभरोसे कहा जा सकता है। जिसमें निगम के अधिकारियों की लापरवाही से किसी भी समय बड़ा हादसा होने से इंकार नहीं किया जा सकता।
निगम परिसर में फैला तारों का मकड़ जाल
नगर निगम परिसर में बने कार्यालयों में जो विद्युत आपूर्ति एवं जनरेटर की लाइट की व्यवस्था की गई है। उसमें बेहद लापरवाही दिखाई देती है। जिसमें निगम परिसर के चारों तरफ तारों का मकड़जाल फैला दिखाई देता है। जिसमें आए दिन तारों में चिंगारी उठती देखी जा सकती है। जिसमें किसी भी समर अफरातफरी का महौल बन जाता है।
निगम कार्यालय में एसी और कूलरों की संख्या सैकड़ों में
नगर निगम कार्यालय में यदि अधिकारी एवं कर्मचारियों के कक्ष में एसी व कूलरों की गिनती की जाए तो वह सैकड़ों में पहुंच जाती है। जिसमें अधिकतर कार्यालयों में विद्युत आपूर्ति 24 घंटे बनी रहती है। वहीं, प्रत्येक कार्यालय में रिकॉर्ड रूम भी बना रहता है यदि तारों में कोई जरा सी चिंगारी उठ जाए तो किसी बडेÞ हादसे के होने से इंकार नहीं किया जा सकता है।
तीन मंजिला कार्यालय, निकासी को मात्र दो फीट का रास्ता
सरकारी कार्यालय हो या कोई बड़ा भवन उसके लिए किसी भी अग्निकांड जैसी घटना को देखते हुए तमाम इंतजामात किए जाते हैं। जिसमें यदि कोई बड़ा हादसा हो जाये तो इतने बड़े भवन से बाहर निकलने के लिए लोगों के पास तीन से चार रास्ते जरूर होने चाहिए, लेकिन निगम कार्यालय में तीन मंजिला भवन में दो ही रास्ते बने हैं। जिसमें एक गेट को वर्षों से खोला ही नहीं गया, उस पर हर समय ताला लटका रहता है।
जबकि एक गेट जो खुला रहता है, उस पर भी जंजीर डालकर ताला लटका दिया जाता है। जिसमें अंदर जाने व बाहर निकलने के लिए मात्र दो ही फीट का रास्ता रहता है यदि कोई भीषण अग्निकांड हो जाये तो आग से कम भगदड़ से ज्यादा जनहानि हो सकती है। यहां तक कि गेट से नहीं निकलते देख लोगों को शायद भवन की छत से ही कूदकर जान देनी पड़े।
कार्यालय में फायर ब्रिगेड तो है, लेकिन वह भी नाकाफी
हालांकि निगम कार्यालय में एक गाड़ी आग बुझाने के लिए खड़ी रहती है। वह केवल निगम के भवन के कुछ हिस्से में लगी आग को ही काबू कर सकती है, लेकिन यदि कोई बड़ा अग्निकांड भविष्य में हो जाये तो उसे रोकने में अपर्याप्त ही साबित रहेगी। इस पर नगरायुक्त अमितपाल शर्मा का वर्जन लेने का प्रयास किया, लेकिन उन्होंने कॉल रिसीव नहीं की।